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तुलसी फी. जीवन भूमि सोभा सील मई प्रीति मई रीति मई नीति, बड़ाई प्रमान सो प्रतच्छ दरसत है। ठाकुर फहत धनि तुलसी तिहारी वानी, अकह कहानी रससानी सरसत है। चंद सी चमेली सी गिरा सी गंग धारहु सी, मघा मेघ मई रामजस वरिसत है ||४३|| [रामचरितमानस, मानसप्रशंसा, पृ० १०] बस हम इसी प्रेम को विलास इतिहास परसत है के 'इतिहास' की शोध में हैं । देखें तुलसी के पारखी पंडित क्या कहते हैं। . । RO