पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/११६

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५-तुलसी का जन्मस्थान 'वाता' की 'भावप्रकाश' टीका में श्री हरिराय जी ने जो और सो वे पूरब में रामपुर गाम में जन्मे लिख दिया है उसके 'पूरव' और रामपुर' के सहारे हमने यह देखने का प्रयत्न किया था कि इसकी संगति - सोरों' से नहीं, हाँ, वार्ता का प्रमाण 'अयोध्या' से अवश्य बैठ सकती है और उसके आधार पर कहा जा सकता है कि 'रामपुर' अर्थात् 'अयोध्या' ही नंददास का जन्म स्थान है। कारण यह कि 'वार्ता' की भाषा ही 'अयोध्या' 'श्राम है और है वह 'पूरब में भी। साथ ही वहीं यह भी स्फुट किया गया था कि 'वार्ता के 'सो.वे नंददास और तुलसीदास दोइ भाइ हते' का सीधा और सच्चा अर्थ यही होगा कि तुलसीदास और नंददास सगे भाई थे, सहोदर थे । अतएव उसी के आधार पर यहाँ इतना और भी निवेदन कर दिया जाता है कि यदि यह ठीक है तो सामान्यतः तुलसीदास जी का जन्म स्थान भी अयोध्या को मान लेने में कोई क्षति नहीं। कारण कि प्रायः सहोदरों का जन्म स्थान एक ही हुआ करता है। परंतु हमारा आग्रह कुछ ऐसा नहीं 'वार्ता' की बात आप को अँचे तो अच्छा और न अँचे तो और भी अच्छा । हमें उसके प्रमाण पर भरोसा नहीं। हमारी उसकी यथार्थता में आस्था नहीं। उससे किसी का जी भरे तो खेद क्या ? .