________________
को खोजने लगी। वह जैसे अपमान की ठोकर से अभिभूत होकर उसी ओर पूर्ण वेग से दौड़ने के लिए प्रस्तुत हुई, बदला लेने के लिए और अपनी असहाय अवस्था का अवलम्ब खोजने के लिए। किंतु वह पागलपन क्षणिक हो रहा। उसकी खीझ फल नहीं पा सकी। सहसा मधुबन को संभालने के लिए उसे शेरकोट चले आना पड़ा। वह भयानक आधी क्षितिज में ही दिखलाई देकर रुक गई। चौबे नौकरी करने लगे राजा साहब के यहां, और राजकुमारी शेरकोट के झाडू और दीए में लगी—यह घटना वह संभवत: भूल गई थी; किंतु आज सहसा विस्मृत चित्र सामने आ गया। राजकुमारी का मन अस्थिर हो गया। वह गंगाजी के नहाने के घाट तक बड़ी देर से पहुंची। शैला और तितली नहाकर ऊपर खड़ी थीं। बाबा रामनाथ अभी संध्या कर रहे थे। राजकुमारी को देखते ही तितली ने नमस्कार किया और शैला से कहा-आप ही हैं, जिनकी बात बाबाजी कर रहे थे? शैला ने कहा—अच्छा! आप ही मधुबन की बहन हैं? जी। __ मैं मधुबन के साथ पड़ती हूं। आप मेरी भी बहन हुईं न!– शैला ने सरल प्रसन्नता से कहा। राजकुमारी ने मेम के इस व्यवहार से चकित होकर कहा—मैं आपकी बहन होने योग्य हूं? यह आपकी बड़ाई है। क्यों नहीं बहन! तुम ऐसा क्यों सोचती हो? आओ, इस जगह बैठ जाएं। अच्छा होगा कि तुम भी स्नान कर लो, तब हम लोग साथ ही चलें। नहीं, आपको विलंब होगा।—कहकर राजकुमारी विशाल वृक्ष के नीचे पड़े हुए पत्थर की ओर बड़ी। शैला और तितली भी उसी पर जाकर बैठी। राजकुमारी का हृदय स्निग्ध हो रहा था। उसने देखा, तितली अब वह चंचल लड़की न रही, जो पहले मधुबन के साथ खेलने आया करती थी। उसकी काली रजनी-सी उनींदी आंखें जैसे सदैव कोई गंभीर स्वप्न देखती रहती हैं। लंबा छरहरा अंग, गोरी-पतली उंगलियां. सहज उन्नत ललाट, कछ खिंची हई भौंहे और छोटा-सा पतले-पतले अधरोंवाला मुख–साधारण कृषक-बालिका से कुछ अलग अपनी सत्ता बता रहे थे। कानों के ऊपर से ही बूंघट था, जिससे लटें निकली पड़ती थीं। उसकी चौड़ी किनारे की धोती का चंपई रंग उसके शरीर में घुला जा रहा था। वह संध्या के निरभ्र गगन में विकसित होने वाली अपने ही मधुर आलोक से तुष्ट—एक छोटी-सी तारिका थी। राजकुमारी, स्त्री की दृष्टि से, उसे परखने लगी; और रामनाथ का प्रस्ताव मन-हीमन दुहराने लगी। शैला ने कहा-अच्छा, तुम कहीं आती-जाती नहीं हो बहन! कहां जाऊं? तो मैं ही तुम्हारे यहां कभी-कभी आया करूंगी। अकेले घर में बैठे-बैठे कैसे तुम्हारा मन लगता है? बैठना ही तो नहीं है! घर का काम कौन करता है? इसी में दिन बीतता जा रहा है।