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अच्छा, जा; कल आना तो मुझसे भेंट करके जाना; भूलना मत! समझा न? मधुबन मिले तो भेज दो। रामदीन ने मछली रखते हुए सिर झुकाकर अभिवादन किया। फिर मलिया की ओर देखता हुआ वह चला गया। __रामदीन की नानी धूप में धोती फैलाकर रसोई-घर की ओर मछली लेकर गई। वह चौके में आग-पानी जुटाने लगी। ___मलिया मालकिन के पास बैठ गई थी। राजकुमारी ने उनसे पूछा–मलिया! तेरी ससुराल के लोग कभी पूछते हैं? उसने कहा नहीं मालकिन, अब क्यों पूछने लगे। राजकुमारी ने कहा—तो रामदीन से तेरी सगाई कर दूं न? आओ मालकिन, इसीलिए मुझको... राजकुमारी उसकी इस लज्जित मूर्ति को देखकर रुक गईं। उन्होंने बात बदलने के लिए कहा—तो आज-कल तू वहां रात-दिन रहती है? - क्यों न रहूंगी। बीबीरानी माधुरी की तरेर-भरी आँखें देखकर ही छठी का दूध याद आता है। अरे बाप रे! मालकिन, वहां से जब घर आती हूं तो जैसे बाघ के मुंह से निकल आती हूं। इधर तो उनकी आँखें और भी चढ़ी रहती हैं। चौबे, जो पहले कुंवर साहब की रसोई बनाता था, आकर न मालूम क्या धीरे-धीरे फुसफुसा जाता है। बस फिर क्या पूछना! जिसकी दुर्दशा होनी हो वही सामने पड़ जाए। क्यों रे, चौबे तो पहले तेरे कुंवर साहब के बड़े पक्षपाती थे। अब क्या हुआ जो... छावनी की बातें अच्छी तरह सुनने के लिए राजकुमारी ने पूछा। कोई भी स्वार्थ न हो: किंत अन्य लोगों के कलह से थोड़ी देर मनोविनोद कर लेने की मात्रा मनष्य की साधारण मनोवृत्तियों में प्राय: मिलती है। राजकुमारी के कुतूहल की तृप्ति भी उससे क्यों न होती? __मलिया कहने लगी मालकिन! यह सब मैं क्या जानूं, पहले तो चौबेजी बड़े हंसमुख बने रहते थे। पर जब से बड़ी सरकार आई हैं; तब से चौबेजी इसी दरबार की ओर झुके रहते हैं। कंवर साहब से तो नहीं पर मेम साहब से वह चिढ़ते हैं। कहते हैं. उसकी रसोई बनाना हमारा काम नहीं है। बबिरिनिा से और भी न जाने क्या-क्या उसकी निंदा करते हैं। सुना था, एक दिन वह रसोई बना रहे थे, भूल से मेम साहब जूते पहने रसोई-घर में चली आईं, तभी से वह चिढ़ गए, पर कुछ कह नहीं सकते थे। जब बड़ी सरकार आ गईं, तो उन्होंने इधर ही अपना डेरा जमाया। अब तो वहछोटी कोठी जाकर, वहां क्या-क्या चाहिए —यही देख आते हैं क्यों रे! क्या तेरे कुंवर साहब इस मेम से ब्याह करेंगे? मैं क्या जाएं मालकिन! अब छुट्टी मिले। जाऊं, नहीं तो रसोईदार महाराज ही दोचार बात सुनावेंगे। अच्छा, जा, अभी तो चाचा के पास जाएगी न? हां, इधर से होती हुई चली जाऊंगी—कहकर मलिया अपने घर चली। राजकुमारी से आकर रामदीन की नानी ने कहा—चलिए, अपनी रसोई देखिए। अभी