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वह भी घुटी हुई है, कैसा पी गई! बीबी को कसक तो होगी ही! बीबी रानी, मैं तुमसे फिर कहती हूं तुम अपनी देखो। आपके भाई साहब तो नदी की बाढ़ में बह रहे हैं। मैं कल तो न आ सकूँगी। हां, जल्दी आने की... नहीं-नहीं अनवरी! कल, कल तुमको अवश्य आना होगा। इस समय तुम्हारी सहायता की बड़ी आवश्यकता है। उस चुडैल को, जिस तरह हो, नीचा... माधुरी आगे कुछ न कह सकी, उसका क्रोध कपोलों पर लाल हो रहा था। ___ मानव-स्वभाव है; वह अपने सुख को विस्तृत करना चाहता है। और भी, केवल अपने सुख से ही सुखी नहीं होता, कभी-कभी दूसरों को दुखी करके, अपमानित करके, अपने मान को, सुख को प्रतिष्ठित करता है। माधुरी के मन में अनवरी के द्वारा जो आग जलाई गई है, वह कई रूप बदलकर उसके कोने-कोने में झलसाने लगी है उसके मनमें लोभ तो जाग ही उठा था। अधिकारच्यत होने की आशंका ने उसे और भी संदिग्ध और प्रयत्नशील बना दिया। उसके गौरव की चांदनी शैला की उषा में फीकी पड़ेगी ही, इसकी दृढ़ संभावना थी, और अब वह युद्ध के लिए तत्पर थी। चौबेजी को खींचने के लिए उसने मन-ही-मन सोच लिया! एक सम्मिलित कुटुंब में राष्ट्रनीति ने अधिकार जमा लिया। स्व-पक्ष और पर-पक्ष का सृजन होने लगा। - चौबेजी कम चतर न थे। माधरी को उन्होंने अधिक समीप समझा। ढले भी उसी ओर। मोटर लेकर जब वह आए, तो उन्होंने कहा—बीबी रानी। हम लोगों ने बड़े सरकार का समय और दरबार देखा है। अब यह सब नहीं देखा जाता। तुम्हीं बचाओगी तो यह राज बचेगा, नहीं तो गया। मैं अब उसके लिए चाय बनाना नहीं चाहता! मुझे जवाब मिल जाए, यही अच्छा है। ____ मोटर पर बैठते हुए अनवरी ने कहा—घबराइए मत चौबेजी, बीबी रानी आपके लिए कोई बात उठा न रखेंगी।


गंगा की लहरियों पर मध्यान्ह के सूर्य की किरणें नाच रही थीं। उन्हें अपने चंचल हाथों से अस्त-व्यस्त करती हुई, कमर-भर जल में खड़ी, मलिया छींटे उड़ा रही थी। करारे के ऊपर मल्लाहों की छोटी-सी बस्ती थी। सात घर मल्लाहों और तीन घर कहारों के थे। मलिया और रामदीन का घर भी वहीं था। दोपहर को छावनी से छुट्टी लेकर, दोनों ही अपने घर आए थे। रामदीन करारे से उतरता हआ कहने लगा-मलिया, मैं भी आया। मलिया हँसकर बोली—मैं तो जाती हूं। जाओगी क्यों? वाह?—कहते हुए रामदीन ‘धम' से गंगा में कूद पड़ा। थोड़ी दूर पर एक बुड्ढा मल्लाह बंसी डाले बैठा था, उसने क्रोध से कहा—देखो रामदीन, तुम छावनी के नौकर हो, इससे मैं डर न जाऊंगा। मछली न फंसी, तो तुम्हारी बुरी गत कर दूंगा।