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  उसने अपने भीतर के जेब से एक पत्र निकालकर शैला के हाथ में दिया। उसे पढ़ते-पढ़ते शैला रो उठी। उसने वाट्सन के दोनों हाथ पकड़कर व्यग्रता से पूछा-वाट्सन! सच कहो, मेरे पिता का ही पत्र है, या धोखा है? मैं उनकी हस्तलिपि नहीं पहचानती। जेल से भी कोई पत्र मुझे पहले नहीं मिला था। बोलो, यह क्या है?

शैला! अधीर न हो। वास्तव में तुम्हारे पिता स्मिथ का ही यह पत्र है। मैं छुट्टी लेकर जब इंग्लैण्ड गया था, तब मैं उससे जेल में मिला था।

ओह! यह कितने दुःख की बात है। शैला उद्विग्न हो उठी थी।

शैला! तुम्हारा पिता अपने अपराधों पर पश्चाताप करता है। वह बहुत सुधर गया है। क्या तुम उसे प्यार न करोगी करूंगी, वाट्सन! वह मेरा पिता है। किंतु, मैं कितनी लज्जित हो रही हूं। और तुम्हारी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मैं क्या करूं? बोलो!

कुछ नहीं, केवल चंचल मन को शांत करो। पत्र तो मुझे बहुत दिन पहले ही मिल चुका था। किंतु मैं तुमको दिखाने का साहस नहीं करता था। सम्भव है कि तुमको...।

मुझको बुरा लगता! कदापि नहीं। सब कुछ होने पर भी वह पिता है।

वाट्सन!

तो चलो, वह कमरे में बैठे हुए तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं।

ऐं, सच कहना! कहती हुई शैला कमरे में वेग से पहुंची।

एक बुढ़ा, किंतु बलिष्ठ पुरुष, कुर्सी से उठकर खड़ा हुआ। उसकी बांहें आलिंगन के लिए फैल गईं। शैला ने अपने को उसकी गोद में डाल दिया। दोनों भर पेट रोए। फिर बूढ़े ने सिसकते हुए कहा शैला! जेन के अभिशाप का दण्ड मैं आज तक भोगता रहा। क्या बेटी, तू मुझे क्षमा करेगी? मैं चाहता हूं कि तू उसकी प्रतिनिधि बनकर मुझे मेरे पश्चाताप और प्रायश्चित्त में सहायता दे। अब मुझको मेरे जीते-जी मत छोड़ देना।

शैला ने आंसू-भरी आंखो से उसके मुख को देखते हुए कहा—पापा!

वह और कुछ न कह सकी, अपनी विवशता से वह कुढ़ने लगी। इंद्रदेव का बंधन! यदि वह न होता? किंतु यह क्या, मैं अभी तितली से क्या कह आई हूं? तब भी मेरा बूढ़ा पिता! आह! उसके लिए मैं क्या करूं? उसे लेकर मैं...।

उसकी विचार-धारा को रोकते हुए वाट्सन ने कहा-शैला मैंने सब ठीक कर लिया है। तुम अब विवाहित हो चुकी हो, वह भी भारतीय रीति से, तब तुमको अपने पति के अनुकूल रहकर ही चलना चाहिए; और उसके स्वावलम्बपूर्ण जीवन में अपना हाथ बटाओ। नील-कोठी का काम तुम्हारे योग्य नहीं है। मिस्टर स्मिथ यहां पर अपने पिछले थोड़े-से दिन शांति सेवा-कार्य करते हुए बिता लेंगे, और तुमसे दूर भी न रहेंगे। शैला ने अवाक् होकर वाट्सन को देखा। उसका गला भर आया था। उपकार और इतना त्यागपूर्ण स्नेह! वाट्सन मनुष्य है?

हां, वह मनुष्य अपनी मानवता में सम्पूर्ण और प्रसन्न खड़ा मुस्कुरा रहा था। शैला ने कृतज्ञता से उसका हाथ पकड़ लिया। वाट्सन ने फिर कहा—मोटर खड़ी है। जाओ, अपनी मरती हुई सास का आशीर्वाद ले लो। जब तुम लौट आओगी, तब मैं यहां से जाऊंगा। तब तक मैं यहां सब काम इन्हें समझा दूंगा। मिस्टर स्मिथ उसे सरलता से कर लेंगे। चलो कुछ खा-पीकर तुरंत चली जाओ।