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कुछ कर लेगी। स्वावलम्बन! हां, वह उसे भी पूरा कर लेगी। किंतु स्त्री का दूसरा पक्ष पति! उसके न रहने पर भी उसकी भावना को पूरी करते रहना, शैला से भी न हो सकेगा। वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है; किंतु दूसरे को अवलम्ब नहीं दे सकती।

वाट्सन भी चुपचाप होकर सोच रहे थे। उन्होंने कहा—मैंने कागज-पत्र देखकर निश्चय कर लिया है कि शेरकोट पर तुम्हारा स्वत्व है। क्या तुम उसके बदले यह सटी हुई परती ले लोगी मैं जमींदार को इसके लिए बाध्य करूंगा।

बिना रुके हुए तितली ने कहा—वह मेरा घर है, खेत नहीं, उसको मैं उसके ही स्वरूप में ले सकती हूं। उससे बदला नहीं हो सकता।

वाट्सन हतबुद्धि होकर चुप हो गये। शैला ने तितली को ईर्ष्या से देखा। यह गंवार लड़की। अपनी वास्तविक स्थिति में कितनी सरलता से निर्वाह कर रही है। सो भी पूरी स्वतन्त्रता के साथ! और मैं, मैंने अपना जीवन, थोड़ा-सा काल्पनिक सुख पाने के लिए, जैसे बेच दिया। उस दरिद्र भूतकाल ने मुझे सुख के लिए लोलुप बना दिया। क्या मैं सचमुच इंद्रदेव को प्यार करती हूं। मैं उतना ही कर सकती हूं जितना मधुबन के लिए तितली कर रही है! उसके भीतर से जैसे किसी ने कहा 'ना'। वह अपनी नग्न मूर्ति देखकर भयभीत हो गई। उसने चारों ओर अवलम्ब खोजने के लिए आंख उठाकर देखा। ओह! वह कितनी दुर्बल है। यह वाटसन! इस संदर व्यापार में कहां से आ गया। और अब तो मेरे जीवन के गणित में यह प्रधान अंक है। तो? उसने इंद्रदेव को और भयभीत होकर देखा, क्या वह कुछ समझने लगा है।

इंद्रदेव ने कहा—मैं तो समझता हूं कि अब हम लोगों को चलना चाहिए; क्योंकि

आज ही रात को मुझे शहर लौट जाना है। कल एक अपील में मेरा वहां रहना आवश्यक है।

शैला ने समझा कि यह पिण्ड छुड़ाना चाहता है। उसे क्या संदेह होने लगा है? हो सकता है। एक बार इसी वाट्सन को लेकर भ्रम फैल चुका है। किंतु यह कितनी बुरी बात है। जिसने मेरे लिए सब त्याग किया...!

वाट्सन ने बीच में कहा—अच्छा, तो मैं इस समय जाता हूं। हां, सुनो, परती के लिए एक बात और भी कह देना चाहता हूं। क्या उसे थोड़े-से लगान पर तुम ले लेना स्वीकार करोगी इससे तुम्हारा यह खेत पूरा बन जाएगा। चाहोगी तो थोड़ा-सा परिश्रम करने पर यहां पेड़ लगाये जा सकेंगे और तब तुम्हारी खेती-बाड़ी दोनों अच्छी तरह होने लगेगी।

हां, तब मैं ले सकूँगी। आपको इस न्यायपूर्ण सम्मति के लिए मैं धन्यवाद देती हूं।

तितली ने नमस्कार किया। इंद्रदेव, वाट्सन और शैला, सबने एक बार उस स्वावलम्ब के नीड़ बनजरिया–को देखा, और देखा उस गर्व से भरी अबला को! सब लोग चले गए। तितली सांस फेंककर एक विश्राम का अनुभव करने लगी। इस मानसिक युद्ध में वह जैसे थक गई थी। उसने लड़कियों को छुट्टी देकर विश्राम किया।

 



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