पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/८५

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६८ तसव्वुफ अथवा सूफीमत सूफियों ने किताब से अधिक हृदय को और शब्द से अधिक भाव की चिंता को । उनकी आस्था किताबों पर होती तो है, पर कभी उन्हीं पर सती नहीं होती। उसे सत्य की लगन होती है । सूफियों की दृष्टि में कण-कण बोलते हैं, वे जड़ नहीं सजीव अचर हैं; उनको समझने के लिये हृदय चाहिए । कारण कि इन किताबों में अभिधा नहीं, लक्षण और व्यंजना की प्रधानता रहती है । बस इसी से उनका प्रिय- तम खुलकर कहता नहीं, संकेत करता है; समझाता नहीं, समझने के लिये लालायित करता है। वास्तव में वह सर्वत्र ऑम्वमिचौनी खेल रहा है। किताब उसीको भाषा है। उसमें प्रतीक और अन्योक्ति का विधान है, वृत्तों का संग्रह मात्र नहीं । आसमानी किताबों में कुरान ही श्रेष्ठ और अपने शुद्ध रूप में सुरक्षित भी है। अन्यों में कुछ हेरफेर अवश्य हो गए हैं। कुरान के बाहक जिबरील का परिचय देना व्यर्थ है। मीकाईल उसीका साथी है। कुरान में बहुत से फरिश्तों के नाम पाए हैं और बहुतों का संकेत भी किया गया है। इसलाम के प्रसिद्ध फरिश्ते जिबरील, मीकाईल इजराईल और इसराफील हैं। इजराईल निधन का रिश्ता है और इसराफील कयामत का । इसराफील के सिंहनाद से ही उस दिन सभी जी खड़े होंगे। कुरान में फरिश्ते स्वर्गीय प्राणी कहे गए हैं उनका प्रधान काम अल्लाह की आज्ञा का पालन, मनुष्यों के कर्मों की देख-रेख. अल्लाह की सेवा और उसके सिंहासन को ढोना भी है। प्रतीत होता है कि अल्लाह की क्रिया-शक्ति फरिश्तों की जननी है। जो कुछ वह करता है फरिश्तों के द्वारा ही उसका संपादन होता है। कहा जाता है कि फरिश्तों की मृष्टि नूर से होती है और वे होते कामरूप हैं । कतिपय विद्वानों की दृष्टि में फरिश्तों में लिंग-भेद होता है, परंतु अधिकांश उनमें लिंग-भेद नहीं मानते । संत, रसूल एवं फरिश्तों के बारे में इसलाम एकमत नहीं है। किसीकी दृष्टि में कोई श्रेष्ट है तो किसीकी दृष्टि में कोई । सूफी संतों को प्रधानता देते हैं । एक मनीषी की दृष्टि में शामी मतों में फरिश्तों का वही स्थान है जो हिन्दूमत L १ इंडिया रह इस फेटा. पृ. ७० ।