पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/२५७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

तसम्वुफ अथवा सूफीमत भारतीय विचार-धारा कभी से पाल रही थी? जो हो, ईसा की भक्ति. भावना में प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी भी रूप में भारत का पूरा पूरा योग है। और, यदि यह ठीक है तो कोई कारण नहीं कि तसञ्चुफ के विकास में ईसा मसीह के प्रमाणपर भी भारतका योग क्यों न माना जाय और उसे भारतीय प्रभाव से अल ना क्यों छोड़ दिया जाय। पारसी शमियों के पडोमी थे। शामो मत के विकास में उनका परा हाथ रहा। 'धर्मपुस्तक' में इस बात का उल्लेख है किं. मसीह के स्वागत के लिए कुछ मरा गए थे। मग को मूफियो ने अपना गुरु माना है। नास्टिक मत का प्रवर्तक नाइमन नामक मग था। उने जिरा गंप्रदाय का प्रवर्तन किया उसका अधिकांश गौद्धमत पर अवलंबित था । नास्टिक कुन का पर्यायवाची शब्द जान पड़ता है । निदान नास्टिक जना प्रभाव में भारत का भी नाम है ही। फलतः पायरूप में भारत ने तसव्वुफ को प्रभावित किया और सूफियों का एक नाम गास्टिक भी हो गया । नास्टिको से कहीं अधिक शक्तिशाली मानीमल नं. प्रारक हुए। मानीमत ने म्वयं मुहम्मद साहब को भी प्रभावित किया। मानीमत का तसव्वुफ के विकास में पूरा योग रहा और हन्नाज जैसे प्रसिद्ध मी इसी जन के अनुयायी के रूप में बदनाम ही मारे गए । इरा मत का प्रवर्तक मानी बौद्धमन का ज्ञाता था। जिज्ञासा की प्रेरगार मे उसने भारत तथा चीन में श्रमण किया। मर्माही लेखकों ने उसे टिरिविथ (त्रिविशन ) बुद्ध कहा है। पीरोज की मुद्राओं पर उसके साथ जो 'बुन्द' शब्द मिलना है उसे बुद्ध का अपभ्रंश कहा गया है । अन्तु, इन पुष्ट नमाग्छों के आधार पर हमें कहना पड़ता है कि गास्टिक तथा मानी मत के द्वारा भी समन्बुसमें भारत का पूरा पूरा योग मिद हो जाता है। इसकी अवहेलना हो नहीं सकनी । (१) दी अर्ली येतप्मेंट आव मोहम्मडनाइम, पृ० १४.४ । (1) थापम रन मंडोवल इंहिया, १० ११ ॥ (३) ओरिजिन भाव मानीकीज्म, पृ० १६ (मुमलिमरियून १९२७ ई०) ।