वाले। . / वृन्दाजलंधर की स्त्री। मानस (मानुष) मनुष्य । ब्यौत-उपाय, यन, युक्ति । मापना-नापना, पैमाइश करना । भकुना-बोदा, बुद्धू, मूर्ख । मायके नैहर, पीहर । भटू-भई (सम्बोधन) [सं०बधू] मिजवानी दावत देना। भैंटे भंटा, बैगन । मीर-सरदार। भरंगी-(भडगी) भांडों की प्रकृति | मीरजादे-सरदार पुत्र । मीडयौ मल दी। भानतु है कहता है, प्रगट करता है। मुकताल-(मुक्ताफल) मोती। भावती-स्त्री, नायिका। मुछारे मुच्छवाले, बड़े मनुष्य । भीरी भीरी-झुण्ड झुण्ड। मुरके मुड़े। भुरई-भुलाई, बहलाई, सांत्वना दे मुंरगा-अरुण-शिखा, 'मुगा । दे कर बहलाती रही। सुरेरना-मरोड़ना, कष्टदेना। भेद में फेरमें। भेरना=भिड़ाना, लड़ाना। मूंड-सिर । भोंदू-धू, मूर्ख। मूसत-चुराते हैं। भोर-सबेरा। मूसर मूसल। भो रहे भयभीत हो रहे हैं। मेर मेरु पर्वत । मघा-एक नक्षत्रा मेलत फेकते हैं। मटमाढ़ा-मटमैला । मेली डाली। मड़े हैं-घिरे हैं। मौज-लहरें, तरंगें। मनुना-मन। मौरन लगे और लगने लगी। मनु दीने सावधानी से। मौलसिरी बकुल वृक्ष। मरोर-लहर (कष्ट)। रंगरेजा-कपड़ा रंग वाला। महंत-स्वामी, मालिक। रमींच-रेखा, लकीर । 'माचि रही हो रही है। रचानाढ़ाती है। मानपरेखोरंज़, खेद। रटन्नास की रटन, नामस्मरण !
पृष्ठ:ठाकुर-ठसक.djvu/९१
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।