(१०) पिरत हैं-पिसे जाते हैं। फरिया-धोती। पिलती हौ लगती हो। फिराद (फरियाद) पुकार, नालिश पीकना-कोयला का कूकना। द-गाँठ । पीठ देना=बिमुख होना, नाराज़ फूलना-प्रसन्न होना। होना। बंधेज बंदोवस्त प्रबंध। पीर-पीड़ा। बई-बोई (उत्पन्न की) पीरक-दर्द जाननेवाला । बकना व्यर्थ की बात करना । पीरजादे-पीरों के लड़के। बखरी-घर । पुतरी-शुड़िया, पुत्तलिका। बालरोबवंडर। बगला-बक पक्षी। पुरी पूर्ण हो गयीं। पेखनो-(प्रेक्षण) कठपुतली बजिकै ताल ठोक कर। बटपार-लुटेरा । का तमाशा। बटवा-बहा। पेचम्बुमाव, चक्कर। बड़याई बढ़ियाई बड़ी अच्छी बात पेट की इदय की बात । बदन-मुख (संस्कृत ।। पेरना-तकलीफ देना। बदिकै-जान बूझ कर। पै-पास बदना-प्रमाण मानना) बँधेज बंदोबस्त, इन्तिजाम । पैयतम्पाते हैं। बन कै अच्छी तरह से। पैयाँ-पैर, चरण । बनन-बानक, रूप। पोनी-हई की मोटी बची जिसे बनैत-बाना (सांग) चलानेवाली। चरखे में कातते हैं। पोर-भाग, खंड। बरज दई मना कर दिया। पोहन-पिरोना। बरजोरी जबर्दस्ती। पौर-बरोठा। बरसाइतम्बटसावित्री पूजन का प्रसेद-पसीना। दिन, (जेठ कृष्ण अमावस) फकीरजादे साधु। बरगदाई अमावस। पै-पय, दूध। 1
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