चार वर्षो म उसने पहली बार रात को प्रामाश की शक्ल दखी थी, जो बुरी नहीं थी—खाकी रग के तम्बू मे हजारा दीय टिमटिमा रह ये और हवा ठण्डो और हल्की-फुल्की थी। कृपाल कौर के विषय म सोचते सोचते वह मोजेल के बारे में सोचने लगा । उस यहूदी लडकी के बारे म, जो अडवानी चेम्बज मे रहती थी। उससे निलोचन का गोडे गोडे! इश्क हो गया था। एसा इश्क, जो उसने अपनी पतीम क्प की जिदगी म कभी नहीं दिया था। जिस दिन उसने अडवानी चेम्बज म अपने एक ईमाई मिन की सहायता से दूसरे माले पर फ्लैट लिया, उसी दिन उसकी मुठभेड माजेल से हुई, जो पहली नजर म उस खौफनाक हद तक दीवानी मालूम हुई थी। कटे हुए भूरे बाल उसके सिर पर बिखर हुए थे-बेहद बिखर हुए। होठो पर लिपस्टिक एसे जमा थी, जैसे गाढा खून और वह भी जगह जगह चटखी हुई। वह ढीला-ढाला सफेद चोगा पहने हुए थी, जिसके खुले गिरेवान से उसकी नीली पडी बडी-बडी छातियो का लगभग चौथाई भाग जर आ रहा था । बाह जो कि नगी थी, उनपर महीन-महीन बाला की तह जमी हुई थी, जसे वह अभी अभी किसी सैलून स वाल कटवाकर आई हो और उनकी नही नही हवाइया उनपर जम गइ हो । होठ अधिक मोटे नही थे 'लेकिन गहरे उनाबी रग की लिपस्टिक कुछ इस तरीके से लगाई गई थी कि वे मोटे और मसे के गोश्त के टुकड़े जैस मालूम होते थे। त्रिलोचन का फ्लॅट उसके पलट के बिल्कुल सामन था। बीच म एक तग गती थी, बहुत ही तग । जव विलोचन अपने पलट म घुसने के लिए मागे बना तो माजेन वाहर निकली। राडाऊ पहन थी। त्रिलोचन उसकी आवाज सुनकर रक गया। माजेल ने अपन बिखरे वाला की चिका मस अपनी बडी वडी पाखा से त्रिलोचन की ओर दवा और हमी--त्रिलोचन बौखला गया। जेव स चावी निकालकर वह जल्दी म दरवाजे की प्रार बढा। माजेल को एक सडाऊ सीमेण्ट के चिवा पा पर फ्मिली और वह. 1 घुटने घटने 82/ टोवा टरसिंह
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