पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/७१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उस धुए को दसवर मसऊद यो बकरे का गोश्त यार मा गया, प्रत- एव उमने अपनी मा से कहा, 'अम्मी जान ! आज मैन कमाई की दुकान पर दो बबरे दख खाल उतरी हुई थी और उनमे से घुमा निकल रहा था, विलकुल वैसा ही जैसा कि मुबह मवर मेर मुह से निफ्ला करता है।' 'प्रच्छा यह कहकर उसकी मा चल्द म से लकडिया के कोयले भाडने लगी। 'हा और मैंन गात को अपनी उगती स छूकर देखा तो वह गम था। 'प्रच्छा । यह करकर उसकी मा न वह वरतन उठाया जिमम उमने पालक का साग धोया था और वह रसोईघर से बाहर चली गई। 'और वह गोश्त कई जगह मे फ्डक्ता भी था।' 'अच्छा' मसऊद की बड़ी बहन न दरवारी सराम याद करनी छोड दी और उसकी ओर देखत हुए बोली, क्स फ्डक्ता था?' यो यो, मसऊद न उगलियो से पडवन पदा करखे अपनी बहन को दिखाई। फिर क्या हुआ ?" यह प्रश्न क्लसूम ने अपन सरगम भरे दिमाग से कुछ इस प्रकार निकाला कि मसऊद एक क्षण के लिए विलकुल हतबुद्धि सा हो गया, 'फिर क्या होना था-मैंन ऐसे ही आपसे बात की थी कि कसाई की दुकान पर गारत पडक रहा था। मैंने उगली से भी छूकर देखा था- गम था। गम था-अच्छा मसऊद, यह बतानो, तुम मेरा एक काम करोगे?" 'बताइए। प्रामो मेरे साथ आयो।' नहीं आप पहले बताइए, काम क्या है ?" 'तुम प्राओ तो सही मेरे साथ।' 'जी नही, आप पहले काम बताइए।' देखो मेरो कमर म बडा दद हो रहा है-मैं पलग पर लेटती हू, तुम जरा पाव से दवा दना । अच्छे भाई जो हुए अल्ला की क्सम, वडा 72/टोबा टेवसिंह