परिचय
मेरे जीवन को सबसे बड़ी घटना मेरी जन्म था। मैं पंजाब के एक अज्ञात गांव 'समराला' मे पैदा हुआ। यदि किसी को मेरी जन्मतिथि से दिलचस्पी हो सकती है तो वह मेरी माँ थी, जो अब जीवित नही है। दूसरी घटना 1931 में हुई जब मैंने पंजाब यूनिवर्सिटी से दसवीं की परीक्षा लगातार तीन साल फेल होने के बाद पास की। तीसरी घटना वह थी जब मैंने 1939 में शादी की, लेकिन यह घटना दुर्घटना नहीं थी और अब तक नहीं है और भी बहुत सी घटनाएँ हुई, लेकिन उनसे मुझे नही दूसरो को कष्ट पहुँचा। उदाहरणस्वरूप मेरा कलम उठाना एक बहुत बड़ी घटना थी, जिससे 'शिष्ट' लेखका को भी दुःख हुआ और 'शिष्ट' पाठकों को भी।
मैंने कुछ साल बंबई में गुजारे और फिल्मी कहानयाँ लिखीं। आजकल लाहौर में हूँ और फिल्मी नहीं, केवल साधारण कहानियाँ लिख रहा हूँ। लगभग दो दर्जन कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके है, जिनके नाम गिनवाकर आपको परेशान नहीं करना चाहता। अपना मौजूदा पता भी इसीलिए नहीं लिख रहा, क्योंकि स्वयं भी परेशान नहीं होना चाहता।
यह संक्षिप्त परिचय मंटो ने मुझे उस समय लिख भेजा था, जब 1954 में मैं उर्दू की सवश्रेष्ठ कहानियों का चयन कर रहा था। अब तो सचमुच मंटो के निवास स्थान का कोई पता नही है, क्योंकि इस ज्याले कहानीकार का 1955 मे अकाल देहांत हो गया था।
मंटो उर्दू का एकमात्र ऐसा कहानी-लेखक था, जिसकी रचनाएँ जितनी पसंद की जाती हैं उतनी ही नापसंद भी और इसमें किसी सन्देह की गुंजाइश नहीं है कि उसे गालियाँ देने वाले लोग ही सबसे अधिक उसे पढ़ते है। ताबड़-तोड़ गालियाँ खाने और 'काली सलवार', वू, 'धुँआ', 'ठंडा गोश्त' इत्यादि 'अश्लील' रचनाओं के कारण बार-बार अदा-