पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/४१

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की बात कर ।

ईशरसिंह की मुस्कराहट उसको लहू भरी मूछा में और अधिक फैल गई, मतलब ही की बात कर रहा हूँ गला चिरा हुआ है मा - या मेरा , अव धीर धीर ही सारी बात बताऊगा । ____ और जब वह बात बताने लगा तो उसके माथे पर फिर ठपड़े पसीने के लेप होन लग, कुलवत भरा जान मैं तुम्ह नही बना सकता, मेरे साथ क्या हुमा इसान कुडी-या भी अजीब चीज है शहर में लूट मनी तो मब लोगा की तरह मैंने भी उसमे हिस्सा लिया गहन पाते और रुपये पैस जा भी हाथ लगे, वह मैंने तुम्हे दे दिए लेकिन एक बात तुम्हे म वता ।

शसिंह के घाव म पीडा हुई और वह कराहने लगा । कुलवत कौर ने उमकी और कोई ध्यान न दिया और बडी निदयता से पूछा, कौन- सी

वात

ईशरमिह न मला पर टपकते हुए लहू को फू मारकर उडाते हुए कहा, "जिस मकान पर मैंने धावा बोता था उममे सात उसमे मात आदमी थे छ मैंन पल कर दिए इमी करपान गे जिससे तूने मुझे छोड इस सुन एक लडकी भी बहुत सुदर उसको उठाकर मैं अपने साथ ले प्राया ।

नवन कोर चुपचाप सुरती रही । ईशरसिंह ने एक बार फिर फर मारसर मूछा पर से लहू उडाया, कुलवत जानी , मैं तुमस क्या पह, कितनी सुदर थी , मैं उसे भी मार डालता, पर मैंने कहा , नहीं ईशर सिंहा, बुलवत और वे तू हर रोज मजे लता है, यह मवा भी घस देस ।

लवत पोर ने मेवल इतना कहा, ह !

और मैं उस गधे पर डालकर चर दिया रास्त म क्या वह रहा था मैं ? हा रास्त म नहर को पटरी के पास बीहड की झाडिया तले मैंने उसे लिटा दिया पटल मावा कि टू लेकिन सपाल आया कि नही यह बहत -बहते ईशारसिंह को जगान मूग गई ।

बुलयत कौर ने निगलार अपना कण्ठ तरदिया और पूछा, फिर क्या हुआ ?

42 ] टोमा टेवामह