उसके हाठो मे गाड दिए । मूछो के बाल कुलवत कौर के नथुना में धसे तो उस छीक या गई। दोनो हसा लगे। ईशरसिंह ने अपनी फतूही उतार दी और कुलव त कौर को गार वासना भरी नजरो से देखकर कहा, 'प्रानो जानी, एवं बाजी ताग की हो जाए। वुलयत कौर के ऊपरी होठ पर पमीने की नही-नही चूदें फूट आइ । एक अदा के साथ उमने अपनी प्रावो की पुतलिया धमाई और वोली 'चल दफान हो।' ईशरमिह ने उसके भरे हुए पल्हे पर जोर से चुटकी भरी । चुलवत कौर तडपकर एक ओर हट गई, 'न कर ईशरसिंह, मेरे दद होता है।' ईशरसिंह ने आगे बढकर कुलव त कौर का ऊपरी होठ अपन दातो तले दवा लिया और क्रक्चाने लगा। पुलव त कौर बिलकुल पिघल गई । इशरसिंह ने अपना कुता उतारकर फेंक दिया और कहा, 'लो, फिर हो जाए तुप चाल कुलव त कौर का ऊपरी होठ कपरपान लगा । ईशरसिंह ने दोनो हाथों से बुलवत कौर की कमीज का घेरा पक्डा और जिस तरह बकरे की खाल उतारत है, कमीज उतारकर एक ओर रख दी। फिर उसने घूर- पर उसके नगे बदा को देखा और जोर से उसके वाजू पर चुटको भरते हुए कहा, 'कुलवत, क्सम वाह गुरु की, वडी करारी औरन है तू।' बुलवत पौर अपने बाजू पर उभरत हुए लाल धब्व को देखत हुए बाली, 'बडा जालिम है तू ईशरसिंह ।' ईशरसिंह अपनी धनी काली मूछा म मुस्कराया होने दे आज जुम' और यह पहर उसन और अधिक जुल्म ढाने शुरू किए । कुलवत कौर मा ऊपरी हाठ दाता तले कचकचाया, फान की लवा को काटा, उभरे हुए सीने को भमोडा, भरे हुए फूल्हा पर आवाज पैदा करने वाले चाट मार, गालो के मुह भर भरके घुम्बन लिए । चूस चूस के उसका सारा सीना थूको से लथेड दिया । वुलवत कौर तेज आच पर चढ़ी हुई हाण्टी की तरह ठण्डा गौरत / 39 ?
पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/३८
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।