एक पान वाला तुम्हारी जान को रोता है । उमसे तुम बीस रुपये दस आने के मिगरट लेकर फूल चुके हो।' मैं लज्जावा पानी पानी हो गया । ममद भाई ने अपनी कटीली मूछो पर एक उगली फेरी और मुम्करा- पर कहा, 'विम्टा भाई, कुछ फिक्र न करो। तुम्हारे मव बज चुका दिए गए हैं, अब तुम ये सिर से मामला शुरु कर सक्ते हो । मैंन इन साला से कह दिया है कि खबरदार, अगर विम्टो भाई को तुमने तग किया और ममद माई तुमस कहता है कि इशाग्रल्ला कोई तुम्ह तग नहीं करगा।' मेरी समझ म हा आता था कि उससे क्या रहू बीमार था, कुनीत का टीका लग चुका था जिसके कारण काना म शाय शाय हो रही थी इसके अतिरिक्त मैं उसके उपवारा तले इतना दव चुका था कि यदि कोई मुझे उस बोझ के नीचे से निकालने का प्रयत्न करता तो उस बडी महनत करनी पडती । मैं केवल इतना कह सका, ममद भाई, खुदा तुम्ह जिदा । रखे। तुम खुश रहो ।' ममद भाइ ने अपनी मूछो के वाल जरा ऊपर किए और कुछ कहे बिना चला गया। डाक्टर पिंटो प्रतिदिन सुबह शाम प्राता रहा । मैंने उसस कइ वार फीस का जिक्र किया लेकिन उसन काना को हाथ लगाकर कहा, 'नहीं, मिस्टर विम्टो, ममद भाई का मामला है, मैं एक धेला भी नहीं ले सकता।' मैंन सोचा, यह ममद भाई कोई बहुत बडा आदमी है-अथात भया नक आदमी, जिमसे डाक्टर पिंटो, जो वडा प्रोछा व्यक्ति है, डरता है और मुझम फीस लेन का साहस नहीं करता हालाकि वह अपनी जेब से इजेवगना का स्पया खच कर रहा है। बीमारी के दिनो मे ममद भाई हर रोज मर यहा आता रहा-कभी सुबह कभी नाम, अपने छ सात शिष्या के साथ और मुझे हर सभव ढग स ढारस देता था कि मामूली मलेरिया है। तुम डाक्टर पिंटो के इलाज से इशाअल्ला बहुत जल्द ठीक ठाक हो जानोगे।' पद्रह रोज के बाद मैं ठीक ठाक हो गया। इस बीच मे मैं ममद भाई 216/ टोवा टेवसिंह
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