पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२११

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इसकी हर गली को फारस रोड या सफेद गली कहा जाता है । इमम नगल लगी हुई सैक्डा दुकानें हैं, जिनम छोटी बडी आयु और अच्छे बुर रग की स्त्रिया अपना शरीर बैंचती हैं । विभिन दामो पर पाठ पाने से प्राठ रपय तक, पाठ पये स आठ सौ रुपय तक-हर दाम की स्त्री प्रापवा इस इलाके म मिल सकती है। यहूदी, पजानी, मराठी पाश्मीरी, गुजराती, धगाली, एग्लो इटियन, प्रासीसी, चीनी, जापानी प्रथात् हर प्रकार की स्त्री प्रापयो यहा स प्राप्त हो सकती है-य स्त्रिया कमी होती है-~भमा कीजिए, इम सम्म व म आप मुझम कुछ न पूछिए-वम स्त्रिया होती है और उनको ग्राहा मिल ही जाते है। इस इलाके में बहुत से चीनी भी प्रावार है । मालूम नहीं य क्या कारोबार करते है लक्नि रहते इसी इलाके म है। कुछ एक तो रम्टारा चलाते हैं जिनके वाहर बोडों पर ऊपर नीच वोडे मकोडा की शक्ल म कुछ लिखा होता है-मालूम नहीं क्या । इस इलाये म हर बिजनेस और हर जाति लोग पावाद है । एक गली है जिसका नाम अरब लेन है । वहा के लोग उसे अरब गलीवहत है । उन दिनो, जिन दिना की मैं बात कर रहा हू इस गली में लगभग बीम पच्चीम अरव रहते थे जो स्वय को मोतियो के व्यापारी कहत 4 बाकी आबादी पजाविया और रामपुरियो की थी। इसी गली में मुझे एक कमरा मिल गया था जिसम कभी सूरज का प्रकाश न आ पाता था। हर समय विजली का बल्ब जलता रहता था। इसका किराया साढे नौ रपय मासिक था। पाप यदि कभी वम्बई मे नही रह तो शायद आप मुश्कित ही स विश्वास करेंगे कि वहा क्सिीको किसी दमर से सरोकार नहीं होता। यदि आप अपनी खोली म मर रह हैं तो आपको कोई नही पूछेगा। आपके पडोस म हत्या हो जाय क्या मजाल जो प्रापको उसकी खबर हो जाय -लेकिन वहा अरब गती मे केवल एक व्यक्ति ऐसा था जिमे अडास पडोस के हर व्यक्ति से दिलचस्पी थी और उसका नाम ममद भाइ था। ममद भाई रामपुर का रहा वाला था । कमाल का फ्केत गतके 208/ टोबा टेकसिंह