जरूरत हो और मुझे तरी । पूनम हवलदार हू । महीन मे एक बार पाया क्स्गा तीन चार दिन के लिए यह घधा छोड मैं तुझे खच द दिया करुगा क्या भाडा है इस खोनी का ? "
माधो 7 और भी बहुत कुछ कहा था , जिसका असर सुगवी पर इतना ज्यादा हुआ था कि वह कुछ क्षणा के लिए अपन आपको हबल दारनी समभन लगी थी । वातें परने के बाद माधो ने उसके कमर की बिखरी हुई चीजें करीने स रसी थी और नगी तस्वीरें , जो मुगधी न अपन सिरहान लगा रखी थी , बिना पूछे फाड दी थी और कहा था , सुगवी, भई मैं एसी तस्वीरें यहा नहीं रखन दूगा और पानी का यह घडा दस तो , क्तिना मला है और ये ये चिथडे ये चिदिया उफ , क्तिनी बुरी वास पाती है | उठा के बाहर फें इनको और तूने अपन वाला का क्या सत्यानाश कर रखा है और और ।
तीन घटे की बातचीत के बाद सुगधी और माधो दोगा आपस म धुलमिल गए थे और सुग वी को तो ऐसा महसूस हुआ था , जैम वह परमा से हवलदार को जानती है । उस वक्त तक किसीने भी कमरे में बदबूदार चिथटा, मैने घडे और नगी तस्वीरा की मौजूदगी का खयाल नहीं किया था और न कभी किसीने उसको यह महसूस करन का मौका दिया था कि उसका एक घर है , जिसम घरलपन आ साता है । लोग पात थे और विस्तर तक की गदगी को महसूस किए बिना चले जाते थे । काइ सुगधी से यह न करता था , देख तो आज तरी ना कितनी लाल हो रही है । कही जुकाम न हो जाए तुझे ठहर मैं तरे लिए दवा लाता हु । माधो कितना अच्छा था । उसकी हर बात वावन तोला और पाव रत्ती की थी । क्या खरी परी सुनाई थी उसन सुग बी को । उसे महसूम होन लगा कि उस माधो की जरूरत है और इसलिए उन दोनो का सम्बध हो गया । ___ महीने में एक बार माधो पूने से प्राता था और वापस जान हुए हमेशा सुग बी से कहा करता था दख सुग धी । अगर तून फिर स अपना धधा शुरू किया तो बस तेरी मेरी टूट जाएगी । अगर तून एक बार भी क्सिी मद को अपने यहा ठहराया तो चुटिया से पकडकर बाहर 190 / टोदा टेकसिंह