में पाकर उसमी हैवानी इच्छाए पूरी करता रहा लेकिन उसका इससे बहुत घृणा थी। उसका दिल बार-बार उमे लानत मनामत करता था। अत मे वह इन तग पा गया था कि उमने सन मे कह भी दिया था कि उमने फिर उस मजद किया तो वह उस जान से मार डालगा। प्रत एव घटना की रात को यही हुआ। अदालत म उसने यही बयार दिया। मम्मी मौजूद थी । आखा ही आखो मे वह रामसिंह को हिलामा दे रही थी कि घबरामो नही, जो सच है, कह दो, सच की हमेशा जीत होती है। इसमें कोई शक नहीं कि तुम्हार हाथो न खून किया है लकिन एक बड़ी मनहूस चीज का, एक हैवान का, एक अमानुप का। रामसिंह ने बड़ी सादगी और बड़े भोलेपन से सारी घटनाओं का वर्णन किया । मजिस्ट्रेट इतना प्रभावित हुआ कि उसने रामसिंह का बरी पर दिया। चडढे ने कहा, 'इस झूठे जमाने में यह मच की एक अनोखी विजय है, और इसका श्रेय मेरी बूढी मम्मी को है।' चडदा ने मुझे उम जलसे में बुलाया था जो रामसिंह की रिहाई की सुशी में मईदा काटज वातान किया था लेकिन मैं व्यस्तता के कारण उमम शामिल न हो सका। साकील और प्रवील दोनो सईदा काटेज म वापस मा गए थे। बाहर का वातावरण मो उनकी निजी फिल्म कम्पनी की नीव डालन के लिए रास नहीं पाया था। अब वे फिर अपनी पुरानी फिल्म कम्पनी में किसी असिस्टेण्ट के अमिम्टण्ट हो गए थे। उन दोनो के पास उस पूजी म से कुछ सैकडे बाकी बचे हुए थे, जो उहान निजी फिल्म कम्पनी की नीव डालने के लिए जुदाई थी। पडदे के माविरे पर उहोंने यह सब रुपया जलसे को सफल बनान के लिए दे दिया। चहा ने हमसे कहा था, 'अव में चार पेग पीकर दुआवरूगा कि वह तुम्हारी निजी फिल्म कम्पनी फौरन खडी कर दे।' चड्ढा का कहना था rि इस जलसे से वनकतर ने शराब पीकर अपनी प्रादत के खिलाफ अपने बाए की प्रशसान की और न ही अपनी 166/टोमा टेवसिंह
पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१६९
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।