चौपी न पत्रे या एप पत्र दिया, जिगम येवल यह निगा पा-'महामाया मम्मी ने प्रपा पपूत यो मौत ये मह स बचा लिया है।' उन घोडे ग म पहन युछ पा मारनापा पाप पूरा समुद्र था। मैं अपनी बीवी ग गया जिस वडो भावपता ग पिया ता उगा प्रभावित होपर मेयत इतना मग, 'एमी पौरत पपार पिदमतगुजार होती हैं।' मा चाडदे को दो-नीत पत्र लिरी, जिया जपाय प्राया। बाद म माम हुमा पि मम्मी 7 उगया तवायु यदनन प नि प्रपती एय सहती ये पाग लानावाला भिजवा दिया था। पहढा मुनि म यहा एर सप्ताह रहा भार उपनारर चला माया। जिस दिन यह पूजा पदा, गयोग म मैं वही था। प्ग में जबरदस्त हमले प धारण यह यहा यमजोर हा गया था, लेशिन उमरा गुनगपाडा परन वाला स्नाय भाज भी वसा ही था। मपणी योमारी का जिन उमन इस प्रकार पिया, जंग प्रादमी गाइपिल की मामूली घटना या परता है। पर जयपि यह या गया था, अपनी पतरनार वीमारी बारे म विस्तार सबान परना या वार मममना था। सईदा पाटज म घटे पी अपस्थिति ५ दिना म छोट छोटे परिवतन हुए थे। पपील और गयील यहा पौर उर गए थे पापि अपनी निजी फिल्म कम्पनी कायम करन ये नि मईदा पाटेज या वाता वरण अनूयुल नही लगता था। उनकी जगह एव वगाली म्यूजिप डाय- रेक्टरमा गया था। उसया नाम मेन था। उगमे साय लाहौर स भागा हुना एक सया राममिह रहता था। मईदा पाटेज में रहन याल सबके सर लोग उमम पाम लेते थे। तबीयत का बहुत गरीप और मवया मवर था। पडद वे पाय यह उस समय भाया था जब वह मम्मी के यह्न पर लोनावाला जा रहा था । उमन गरीचनवाज और रजीतमार मे यह दिपा धादि उम सइना वाटज म रम लिया जाए। सन पे धमरे म चूचि जग पाली थी, इसलिए उमने वही अपना डेरा जमा लिया था। रजीतरमार यो कम्पनी की नई फिल्म में बतौर हीगे चुन लिया गया था और उसके साथ वाटा दिया गया था कि अगर फिल्म सफल हुई तो मम्मी/ 161
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