पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१५६

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को पिलिम के होठा से लगाते हुए बडे दुलार से कहा, बहादुर लडकी बनो और पी जाम्रो ।

फिलिम इनकार न कर सको । चडढा खुश हो गया और उसने इसी खुगी मे बीम पच्चीस और नगे मजाक सुना दिए । सब मजे लेते रहे । मैंन सोचा , पादमी न नग्नता से तग पावर वस्त्र पहनने शुरू पिए होंगे । यही कारण है कि अब वह वस्त्रो से उकतार कभी कभी नग्नता की पार दौडने लगता है । शिष्टता को प्रतिक्रिया निम्स देह अनिष्टता है । इम पनायन का एक दिलचस्प पहलू भी है । प्रादमी को इससे एक निरतर एकरसता के यष्ट से कुछ क्षणो के लिए मुक्ति मिल जाती है ।

मैंन मम्मी की ओर देखा, जो उन जवान लडकियो म घुलमिलकर चडढे के नगे नग मजाब सुनकर इस रही थी और कहकह लगा रही थी । उसके चेहरे पर बडी वाहियात मेकअप था । उसके नीचे उसकी झुरिया साफ नजर आ रही थी । मगर वह भी उल्लसित थी मैंने सोचा, आखिर लोग क्या पलायन को बुरा समझते हैं वह पलायन , जो मेरी पाखा के सामन था । उमका बाहरप यद्यपि सुन्दर न था , लेविन भीतर बहुत सुदर था उसपर कोई बनाव शृगारन था । कोई गाजा, कोई उबटना नहीं था । पाली थी , वह एक कोन मे रजीतवुमार के साथ खडी अपने नये फा के बारे में बातचीत कर रही थी और उसे बता रही थी कि सिफ अपनी होशियारी से उमने वडे सस्ते दामो पर उम्दा चीज तयार करा ली है । दो टुकडे थे, जो विलकुल वेकार मालूम पडत थे, मगर अब व एक सुदर पोशाव मे बदत गए थे । और रजीतकुमार बडी गम्भीरता के साथ उमको दा नये ड्रेम बनवा देने का वायदा कर रहा था , हालापि उसे फिन्म कम्पनी से इतने रुपये इक्टठे मिलने की कोई प्राशा न थी । डाली थी , वह गरीबनवाज से कुछ बज मागने की कोशिश कर रही थी और उनको विश्वास दिला रही थी कि दपतर से तनरवाह मिलने पर वह यह क्ज जरूर अदा कर देगी । गरीबनवाज को पूरी तरह मालूम था कि वह यह रपया नियमानुसार कभी वापस नही देगी , लेकिन वह उसके वायदे पर एतबार किए जा रहा था । थलिमा वनकतरे से ताण्डव नाच के बडे मुश्किल तोडे सीखन की कोशिश कर रही थी । वाक्तरे को मालूम था

मम्मी / 153