पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१५३

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वे एक दूसरे के हितपी बन गए थे शगर इस वातावरण मे दूध मात्रम होती थी और वह प्लटीनम ब्लौण्ड उसकी कल्पना दिमाग में एक छोटी मी गुडिया के स्प मे पाती थी हर वातावरण का अपना एक विशेष सगीत होता है । उस समय जो मगीत मेरे दिल के कानात पहुच रहा था , उसमे कोई सुर उत्तेजक नही था । हर चीज मा और उसक बच्चा के परस्पर सम्बधा की तरह स्पष्ट थी ।

मैंन जब उमको तागे मे चडढे के साथ देखा था तो मुझ धक्का मा लगा था । मुझे अफसोम हुअा कि मेरे दिल में उन दोनो के सवध म दुर विचार पैदा हए , लेकिन यह चीज मुझे बार-बार सता रही थी कि वह इतना गहरा मेकअप क्यो करती है जो उपकी झुरिया की ताहीन है । उस ममता का अपमान है, जो उसके दिल मे घडढा गरीबनवाज

और वनक्तर के लिए माजूद है और खुदा जान और किस स्मिक लिए

बातो बातो मे मैने घडढे से पूछा, यार , यह तो बताओ कि तुम्हारी मम्मी इतना शाख मेकअप क्यो करती है ? ____ इसलिए कि दुनियाहर शोख चीज कोपसद करती है -~- तुम्हारे और मेरे जैसे उल्लू इम दुनिया में बहुत कम वसत है, जो मद्धिम सुर और मद्धिम रग पसद करत हैं । जो जवानी को बचपन के म्प मे नही दखना चाहते और और जो बुटापे पर जवानी की टोपटाप पसद नहीं करत

हम जो नुद को कलाकार कहत हैं उलू के पटठे हैं मैं तुम्ह एक दिल चस्प घटना सुनाताहू वैसाखी का मेला था तुम्हारे अमतसर म राम बाग के उस बाजार मे , जहा टक दया ( वश्याए ) रहती थी -~- जाट गुजर रह थे एक त दुम्स्त जवान ने खालिम दूध और मक्खन पर पले जवान ने,जिसकी नई जूती उसकी लाठी पर बाजीगरी कर रही थी ऊपर एक कोटे की प्रार देखा, जहा एक टकई की तल में भीगी हई जुत्फ उसके माथे पर वडे वदसूरत ढग म जमी हुई थी । उसने अपने साथी की पमलिया में टहीका देकर कहा प्रोए लहनामिया वेख , ओए ऊपर बख, असी ते पिण्ड विच मभाई । अतिम शब्द चरढा न न जान क्या गोल कर दिया । हालाकि वह किसी प्रकार की शिष्टता का कायल नही था ।

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