पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१४९

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एक पत्ता पा , अपनी सुदरता । वनकर का विचार था कि उसको पेटी सुन वह परी जरूर गीशे मे उतर पाएगी, और रजीतकुमार जोर जवर दस्ती को ही कारगर समझता था लेकिन सब अत म यही सोचते थे कि रेग्विए , मम्मी विसपर कृपा करती है । इसमे मालूम होता था कि उम प्लेटोनम नौपड फिलिस को वह स्त्री ,जिसे मैंन चडढे के साथ ताग म देखा था , किमोके भी हवाले कर सकती थी । ___ फिलिम की बातें करन करत चडढे न अचानक अपनी घडी देखो और मुझसे नहा , जह नुम मे जाए यह छोकरी, चलो यार भाभी वहा क्वाब हो रही होगी - लेकिन मुसीबत यह है कि मै वहा भी कही सेण्टी मेण्टल न हो जाऊ खैर, तुम मुझे सभाल लेना । अपन गिलाम की कुछ आखिरी वूदें अपने कण्ठ में टपकाकर उसने नौकर को आवाज दी , ममिया के मुल्प मिस्र के शहजाद ।

ममियो के मुल्क मिस्र का गहजादा इस तरह पावें मलता वहा पाया , जैसे उमे मदियों के बाद खादकर बाहर निकाला गया हो । चड्ढे ने उसके मुह पर रम के छोटे मारे और कहा दो अदर तागे लामो जो मिस्र के रथ मालूम हो ।

तागे आ गए हम मब उनपर लदकर प्रभातनगर के लिए चल पडे । मेरा पुराना फिल्मा का साथी हरीश घर पर मौजूद था । इतनी दूर स्थित स्थान पर रहने के बावजूर उसने मरी वीवी की खातिरदारी में कोई कसर नही उठा रखी थी । चडढे ने प्राख के इशारे से उसे सारा मामला समझा दिया था अतएव वह बहुत हितकर साबित हुप्रा । मेरी बीवी ने अपना व्यक्त ही किया । उमका समय वहा कुछ अच्छा ही वीता था । हरीश न जो स्त्रियों की प्रकृति का अच्छा जानकार था बडी मजेदार बातें की पौर अत म मेरी बीवी स प्राथना की कि वह उसकी शूटिंग देखने चले जो उम दिन होने वाली थी । मेरी बीवी ने पूछा, कोई गाना फिल्मा रह है आप ?

हरीश ने जवाब दिया जी नहीं, वह क्ल का प्रोग्राम है - मेरा खयाल है , आप बन चलिएगा ।

___ हरीश की बीवी शूटिंग देख देखकर और दिखा दिसाकर तग आई __ 146 / दोबा टसिंह