चभी उसको बाजार से सौदा सटटा ला दिया, कभी लाण्ड्री में उसके कपडे धुलने दे आए और कभी उसके रोते बच्चे को बना दिया। उनम से 'रजीदा कोई भी न था, सबके सब प्रसन ये। अपनी कठिन परिस्थितियो की चर्चा भी करत तो बडे उल्लास से। इममे कोई सदेह नही कि उनकी जिदगी बडी दिलचस्प थी। हम काटज के गेट में दाखिल होने जा रहे थे कि गरीवनवाज साहब वाहर पा रह थे। चडदे न उनकी ओर ध्यान से देखा और अपनी जेब मे हाथ डालकर नोट निकाले । बिना गिन उसा कुछ गरीवनवाज को दे दिए और कहा 'चार बोतलें स्काच की चाहिए, कमी पाप पूरी कर दीजिएगा, बेशी हो तो मुझे वापस मिल जाए।' गरीबनवाज के हैदरावादी हाठो पर गहरी सावली मुम्बराहट प्रा गई । चडटा खिलखिलाकर हमा और मेरी ओर देखकर उसने गरीबनवाज से कहा, यह मिस्टर मण्टो है लेकिन इनस तफमीली मुलाकात की इजा- जत इस वक्त नहीं मिल सकती। यह रम पिए है। शाम को स्वाच आ जाए तो लेकिन आप जाइए । गरीबनवाज चला गया।हम अदर दाखिल हुए। चडढे ने एक जोर की जम्हाई ली और रम की बोतल उठाइ, जो आधी से ज्यादा खाली थी। उसने रोशनी मे उसकी मात्रा का सरसरी तौर पर अनुमान लगाया और नौकर को प्रावाज दी, कजाकिस्तान के शहजादे ।' जब वह न पाया तो उसन अपने गिलास म एक वडा पेग डालते हुए कहा 'ज्यादा पी गया है कम्बरत " गितास खत्म करत हुए वह कुछ चितित हो गया, 'यार, भाभी को तुम पाहमरवाह यहा लाए। सुदा क्सम, मुझे अपने सीन पर एन वाझ सा महसूस हो रहा है। फिर स्वय ही उसने अपो को धैय बधाया, 'लेकिन मेरा खयाल है कि वे बोर नही होगी वहा।' मैंन कहा, 'हा, वहा रबर वह मेर कत्ल का जल्दी इरादा नहीं कर सक्ती।' यह कहकर मैंने अपने गिलास मे रम डाली, जिसका स्वाद बुमे हुए गुड जैसा था। जिस क्वाडखाने महम वैठे थे, उसमे सलाखो वाली दो खिरिया मम्मी / 141
पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१४२
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।