देर तक क्रोधित होकर वह सो जाएगी । अतएव वही हुआ। स्टूडियो पास ही था। अफरा तफरी मे मेहताजी के सिर चढकर चडढा न दो सौ रुपये वसूल कर लिए और पौन घण्ट म जब हम वापस आए तो देखा कि वह बडे मजे से आरामकुर्सी पर सो रही थी। हमने उसे परेशान करना उचित न समझा और दूसरे कमरे में चले गए, जो कबाडखाने से मिलता जुलता था। इसमे जो चीजें थो, वे अजीब तरीके से टूटी हुई थी, जो सब मिलकर एक पूर्णता का दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। हर चीज पर गद जमी थी और उस जमी हुई गद म भी एक प्रकार का अपनापन था, जैसे उसकी मौजूदगी उस कमरे में जरूरी हो । चडढा ने तुरत ही अपन नौकर को ढूढ निकाला और उसे सौ रुपये का नोट देकर कहा 'चीन के शहजादे । दो बोतलें थड क्लास रम की ले प्रामो मेरा मतलब है, 'थ्री एक्स रम की और प्राधा दजन गिलास ।' मुझे बाद मे मालूम हुमा कि उसका नौकर सिफ चीन का ही नहीं, दुनिया के हर बडे देश का शहजादा था । चड्ढे की जबान पर जिस देश का नाम आ जाता, वह उसीका शहजादा बन जाता था। उस समय का चीन का शहजादा सौ का नोट उगलियो स खडखडाता चला गया। चडढा न टूटे हुए स्प्रिंगा वाले पलग पर बैठकर अपन होठ श्री एक्स रम के स्वागत मे चटखारते हुए कहा, 'वेट इज वेट-अाफ्टर पाल, तुम इधर आ ही निकले।' फिर एकदम चिर्चा तत होकर बोला 'यार भाभी का क्या होगा? वह तो घबरा जाएगी।' चडढा बिना बीवी के था, मगर उसको दूसरा की बीविया का बहुत खयाल रहता था। वह उनका इतना सम्मान करता था, मानो सारी उम्र कुवारा रहना चाहता था। वह कहा करता था, 'यह होनता भाव है, जिसन मुझे अब तक इस नेमत से महरूम रखा है । जब शादी का सवाल प्राता है तो फौरन तैयार हो जाता है लेकिन बाद म यह सोचकर कि मैं वीवी के काबित नहीं हू सारी तैयारी 'काल्ड स्टोरेज' मे डाल देता है। रम बहुत जल्ली या गई, गिलास भी। चडढा ने छ मगवाए थे और चीन का शहजादा तीन लाया था, वाकी तीन रास्त म टूट गए थे। चड्ढे 136/टोवा टेवसिंह
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