पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/११४

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जनो सामोश रही। बाबू गोपीनाथ से जब मुझे जीनत का बम्बई लान का वारण और उद्दश्य मालूम हुमा ता मग दिमाग चकरा गया। मुझे यकीन न पाया कि ऐमा भी हो सकता है, लेकिन बाद में अपनी प्रासो दमे हाल न मेरी हैरत दूर पर दी । वावू गोपीनाय की दिली तमना थी कि जीनत अम्बई म किमी अच्छे मानदार आदमी की बल न जाए या एम तारीक मीम जाए, जिनस वह विभिन्न व्यक्तिया स रपया प्राप्त परत रहन म फल हा सके। जीत से अगर मिफ छुटयाग ही हामिल करना हाता ता यह काई मुक्षित चीन नहीं की। वायु गोपीनाथ एष ही दिल मे एमा र सपना था। चूपि उसकी नीयत नेक थी इसलिए उसने जीनत की जि दगी बनान के लिए हर सम्भव प्रयत्न रिया । उसका एक्ट्रेम बनान के लिए उसन कई जाली डायरक्टग को दावतें की, घर म टेलीकान लगवा दिया, लेकिन ऊट किमी करवट बैठा। मुहम्मद वापीर तूमी लगभग डढ महीने तर पाता रहा। कई रातें भी उसन जीनत के साथ गुजारी, लेकिन वह एमा प्रादमी नहा था, जा विमी औरत का सहारा वन सब । बाबू गोपीनाथ 7 एवं रोज अप साप और रज के साथ कहा, 'शफीक साहव ता ग्वालीचुली जटलमन ही निकात । ठम्मा दखिए, लकिन वेचारी जीनन स चार चादरें छ तषिय के गिलाफ और दा सौ रपय नवद हथियार गए । सुना है, माजवल लको असमाम म इस तडा रहे है। यह सही था। अलमाम नजीर जान पटियाल वाली की सरस छोटी और ग्राग्विरी लडकी थी। इसम पहले तीन वहन शपीर को रखैल रह चुकी थी। दो मौ स्य जो उमन जीनत म लिए थ, मुझे मालूम है प्रनमा पर सच हुए थे। वहनावे माय लड भाडार अलमाम ने जहर सा लिया था। मुहम्मद शफोक् तूसी न जब आना जाना व द पर दिया तो जीनत न यई वार मुझ टलीफान दिया और कहा कि उम ढूढकर मेरे पास लाइए 1 मै उसे तलाश किया, लेकिन किमीको भी उसका पता नही था बापू गोपीनाथ | 115