माहूर प्रादमी है-कुछ अपनी सबसे अलग गायकी के कारण और कुछ अपनी चुटकलवाज तबीयत की बदौलत । लेकिन उसकी जिदगी का एक हिस्सा अधिकतर लोगा का मालूम नही है । बहुत कम लोग जानत है कि तीन सगी वह्नो को एक के बाद एक तीन-तीन, चार चार साल के वक्फे के बाद रखैल बनान से पहले उसका सम्ब ध उनकी मा स भी था। यह भी बहुत कम लोगा को मालूम है कि उसकी अपनी पहली वीवी जो शादी वे थोडे अरसे बाद ही मर गई थी, इसलिए पसद थी कि उसम तवायफा वे म नाज-नखर नहीं थे। लेकिन यह तो सर हर प्रादमी जा शफीक तूसी स थोडी बहुत वाफियत रखता है, जानता है कि चालीस बरस की उम्न मे यह उस जमान की उम्र है सैक्डो तवायफा न उस रखा। अच्छे से अच्छा कपडा पहना, उमदा स उमदा खाना खाया नफीम स नफीस मोटर रखी लेकिन अपने गिरह स भी क्सिी तवायफ पर एक दमडी सच नहीं की। औरता के लिए खास तौर पर जो पेशेवर हा, उसकी चुटकुलेबाज तबीयत मे जिसम मीरासिया जस मजाक की भलक थी, वडा आपण था । वह कोशिश किए बगैर उह अपनी तरफ खीच लता था। मैंन जब उसे हस हसकर जीनत से बातें करते देखा तो मुझ इस- लिए हैरानी न हुई क्याकि मैं जानता था कि वह ऐसा क्यो कर रहा है मैंन सिफ यह सोचा कि वह अचानक यहा पहुच स गया । एक सैण्डो उसे जानता था, मगर उनकी बोलचाल तो इससे एक जमाने स बद थी। लेकिन बाद में मुझे मालूम हुआ कि सण्डो ही उस वहा लाया था। उन दोनो मे सुलह सफाई हो गई थी। वायू गोपीनाथ एक तरफ वठा हुक्का पी रहा था। मन शायद इसस पहले जिन नही किया कि वह सिगरेट बिलकुल नही पीता था। मुहम्मद शफीक तूसी मीरासिया के लतीफे सुना रहा था जिसम जीनत कुछ कम और सरदार बहुत ज्यादा दिलचस्पी ले रही थी। शफीक न मुभ देखा और कहा 'मोह बिस्मिल्लाह विस्मिल्लाह! क्या प्रापवा गुजर भी इस वादी म होता है संण्डो न कहा 'तशरीफ लाइए इजराइल (यमदूत) साहब यहा 21 1121 टोबा टेक सिंह
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