पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/३३१

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1 अफगानिस्तान ज्ञानकोश (अ) ३०० अफगानिस्तान करनेका भी उपरोक्त कारण ही बताया तथा प्रजाके नाम है। इस फरमानका सारांश इस बातका बड़ा भय था कि इनकी मृत्युसे निम्नलिखित है:-जिस तत्परता तथा सहानुभूति देशमें फिरसे बड़ी खलबली मच उठेगी, किन्तु के साथ देशके प्रत्येक व्यक्ति तथा पदाधिकारीने सब शान्ति ही रही। जहीरशाहको 'अमीर 'मानना स्वीकार किया है अमीरकी मृत्युके बाद तत्काल ही कौन्सिल । इसके लिये वह हृदयसे अनुगृहीत है। उसे इस की एक श्रावश्यक बैठक की गई। पार्लिया मेन्ट बातसे बड़ा सन्तोष है कि देशमें जागृति उत्पश्च के जितने स्थानीय सभासद थे वे सब तत्काल ही हो गई है और देश अपने सच्चे मित्र तथा सहायक एकत्रित किये गये। इस सभा में सेना विभागके को पहचान सकता है। उसे पूर्ण आशा है कि ईश्वर मन्त्री जनरलशाह महमुदने युवराज जहीरके | की कृपासे देशमें एकता रहेगी और उन्नतिके पथ राज्यारोहणके लिये प्रस्ताव किया। सायंकाल पर देश अग्रसर होता रहेगा। यद्यपि उसे अपने ४ बजे सर्व सम्मतिसे उसे 'अमीर' मोनना | प्रति देशका असीम प्रेम देखकर पूर्ण सन्तोष है तो खोकार हुशा। तदन्तर प्रत्येक पदाधिकारी तथा | भी उस को परमात्मासे सच्चे हृदयसे यही प्रार्थना है कर्मचारीने राज्य तथा अमीरके प्रति सत्यनिष्ट कि उसे शक्ति तथा साहस दे कि जिस कार्यको रहनेकी शपथ ली। उसके पिताने प्रारम्भ किया था तथा जिसके गत इतिहास पर ध्यान देते हुए नादिरखाँ की कारण उसके प्राण तक गये उसी आदर्शका बह हत्याके समाचारसे देशमें अशान्ति तथा विद्रोह | पूर्ण रूपसे पालन करनेमें समर्थ हो । की बड़ी प्रबल आशंका होने लगी थी। कुछका अन्य राष्ट्रोके सम्बन्धमें भी उसने निम्नलि- मत था कि कदाचित् पूर्व अमीर अमानुल्लाखाँ | खित घोषणा की है:-जो नीति स्वराष्ट्र तथा पर- इटलीसे फिर स्वदेशको लौटे। कुछका मत था कि राष्ट्रके विषयमें उसके पिता की थी उसीका पालन देशके भीतर ही कुछ गड़बड़ उठ खड़ी होगी। पूर्णरूपसे वह भी करेगा। जितने सन्धिपत्र किन्तु ये सब आशंका निर्मूल रहीं। इस सबका इत्यादि उसके पिताके समयके हैं तथा जितने मुख्य कारण यही विदित होता है कि नादिरखाँ काल तकके लिये वे हैं, उनमें भी वह किसी प्रकार की हत्या चाहे एक दुष्टने भले ही कर डाली हो का कोई रद्दोबदल नहीं कर रहा । देशके किन्तु वह बड़ा लोक प्रिय था, उसकी प्रजा उस प्रतिनिधियों को सम्मतिके आधार पर ही उसका पर विश्वास रखती थी। देशवासियोका जो कार्यक्रम रहेगा । अगाध प्रेम उसके प्रति था वह तो यों ही प्रकट नादिरखाँ की मृत्युके बाद देशमे अशान्ति है । उसके शवके साथ लाखो आदमी गये, होनेकी बहुत कुछ आशंका थी। कुछका तो मत बाजार इत्यादि सब बन्द हो गये तथा सबके हृदय था कि कदाचित् अपनी खोई हुई सत्ताको फिरसे से दुःखकी ध्वनि निकली पड़ती थी। उसकी प्राप्त करनेके लिये इटलीसे अमानुल्लाखाँ स्वदेशमें कब्र पर नित्य सहस्त्रों मनुष्य जियारत करने आते | फिरसे पदार्पण करें। ऐसा होने पर एक बार हैं। देशवासियोंने इसे शहीद' मानना स्वीकार | फिर चारों ओर विद्रोहकी अग्नि भड़क उठती । किया है। पिताके गुणों पर मुग्ध प्रजा युवा देश उनको अपनाने के लिये तय्यार नहीं था। पुत्र जहीरके प्रति भी वही सम्मान तथा प्रेमके | कदाचित् इन्हीं सब कारणों को विचार कर भाव रखती है। यही कारण है कि विना किसी अमानुल्ला खाँ ने अपना विचार स्थगित कर झगड़े फिसादके इतनी सरलतासे जहोर अमीर दिया हो । बन बैठा। राज्यके प्रत्येक भागसे नये अमीरके अतः जहीरखाँका ही अमीर होना देशके प्रति सत्यनिष्ठा की शपथ लेनेके लिये सहस्त्रो लिये इस समय कदाचित् सबसे उपयुक्त था। मनुष्य नित्य चले आते हैं । देशके कोने कानेने इसके गुणोको देख कर पूर्ण प्राशा की जाती है इस युवाका अपना अमीर मानना स्वीकार किया कि देश इसके शासनमें अच्छी उन्नति करेगा। है। अपने मृत पिताकी भाँति इससे भी देश शासन प्रणाली--अफगानिस्तान की शासन वासियोको बड़ी श्राशा है। प्रणाली अाजकलके अधिकांश देशोसे भिन्न है। इन सबके उत्तर में नये अमीरने भी एक शाही यहाँ अमीरका ही निरंकुश शासन है और उसको फरमान निकाल दिया है जिससे इसक हृदयका सब विषयों में पूर्ण अधिकार है। इस देशके भी पता चलता है। अनेक भाग किये गये हैं। काबुल, तुर्किस्तान, ... यह फरमान राज्दके पदाधिकारी, कर्मचारी, हेरात, कन्दहार तथा बद्कशानमें अलग अलग