पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/३१६

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अप्सरा ज्ञानकोश (अ) २६३ अफगानिस्तान उपदेवताओंमें होतीथी। इनकी पूजा की जातीथी। और १६०४-१६०५ ई० में इरानीवलूची कमीशन इनका निरादर करनेका साहस कोई नहीं करता द्वारा इसकी पश्चोमीय सरहद् निश्चित हुई। था। इन्हें नग्न देखनेसे ये पीड़ा पहुँचाती थीं, प्रान्तीय-विभाग–यह चार भागोंमें विभाजित और देखने वाला उन्मादग्रस्त हो जाता था। किया गया है:-( १ ) काबुल अथवा उत्तरोय थे श्रद्धोतीय सुन्दरी, तरूणी तथा फूलों और अफगानिस्तान, (२) कन्दहार अथवा दक्षिणी वल्कलोसे विभूषित अथवा एक वस्त्रसे आच्छादित अफगानिस्तान (३) हेरात प्रदेश तथा (४) वर्णित की गई हैं। स्थान स्थान पर रहनेवाली कुलात ए.खिलजई अथवा अफगानी तुर्किस्तान । अापलराओं का नाम भी उनके निवास स्थानसे ही नदी-यहाँ की नदियों में कावुल नदी सबसे निर्धारित किया जाता था। (अाधार ग्रंथ- मुख्य समझी जाती है। उसके बाद हेलमण्डकी बलेन टाइन--सम फेजेजं श्राफ दी कल्ट आफ दी गणना को जासकती है, यद्यपि विस्तारमें यह निम्फ। क्लासिकल, डिक्शनरो। रिलीजन एण्ड काबुल से भी बड़ी है। इसका उद्गम कोह अबाया एथिक्स । नेचर वरशिप) के उच्चतम शिखरसे होताहै, और यह अफगानिस्तान अफगानिस्तान-यह मध्य पशियाका सबसे अधिक अज्ञात प्रदेशमे होकर बहती है। एक पहाड़ी प्रदेश है। यह देश भारत और इस प्रदेशमें हजारों की अधिक बस्ती है। अन्य फारसके मध्यमें बसा हुआ है। इसका महत्व मुख्य नदी हरिरुद है जो हेरात प्रदेशमें होकर रूस और बृटिश भारतके मध्यमे स्थित होनेके बहती है। लोरा, आक्सस तथा गोमल यहाँ की कारण गत शताब्दीसे बहुत बढ़ गया है। यह अन्य उपयोगी और मुख्य नदियाँ हैं। कुछ प्रदेश उ० अ० ३० से ३५ और पू० २०६२ से ७० तक ऐसे है जहाँ धाँधों तथा नहरों द्वारा सिंचाई की में स्थित है। इसका क्षेत्रफल २४.००० वर्गमील जाती है। इन नदियों से देश की पैदावारमें है और आधुनिक श्राबादी ६३८०५०० के लगभग है। बड़ी सहायता मिलती है । भौगोलिक वर्णन-इस नामसे इस प्रदेश का पर्वत---यह देश अनेक परत्तोंसे परिपूर्ण है। बहुत पुराना इतिहास नहीं देख पड़ता। पहले यह | हिन्दूकुश यहाँ का सबसे मुख्य पर्वत है जो देशके छोटे छोटे कई भागोंमें विभक्त था। आजकल इस अधिकांश भागमें फैला हुआ है। कोह अवाबा नामसे जिस प्रान्त का बोध होता है वह प्राचीन दुसरा मुख्य पर्वत है। फीरोज पठार यहाँका विख्यात हेरात ( Herat ), सेसिस्तान, कावुल, कन्दहार है। सफेद कोहकी सबसे ऊँची चोटी शिकरम आदि प्रदेशोंसे बना हुआ है। इस लेख में लगभग १५६०० फीट ऊँची है। इस पर्वत पर हजारा प्रान्तके पहाड़ी प्रदेश तो अवश्य सम्मिलित जङ्गल पाये जाते हैं। यह सम्पूर्ण देश पहाड़ी किये गये हैं, किन्तु अफगान तुर्किस्तान, अफगान, तथा पथरीला है। राज्यके अन्तर्गत होते हुए भी, इस लेखमें सम्मि रास्ते तथा दरे-अफगानिस्तानसे भारतमें लित नहीं किया गया है इस पर स्वाधीन आनेके लिये पहाड़ोंमें अनेक मुख्य दरें है । लेख अन्यत्र ही लिखा गया है। खैबर, कुर्रम, टोची इनमें से प्रधान हैं काबुल और इसके उत्तर में रूसी तुर्किस्तान कह सकते जलालाबादके बीचमें दो रास्ते हैं। लारावन्द दर्रा हैं, यद्यपि बहुत कुछ उत्तरी सीमा का भाग हिन्दू तथा कावुल दुर्ग। कावुल और पेशावरके बीच कुश पर्वत, हेरात तथा मुरगाव नदियों द्वारा में खैबर दर्रा है। बोलन दरॆसे अफगानिस्तान घिरा हुश्रा है। इसके पश्चिममें ईरान है और और भारतका मुख्य व्यापार होता है। इन दरौं इसकी पश्चिमीय सीमा सेसिस्तान की झीलसे का ऐतिहासिक महत्व बहुत कुछ है। भारत का प्रारम्भ होती है। इसके पूर्वमें सुलेमान पर्वत | इतिहास आज विल्कुल ही भिन्न होता यदि ये दरें की श्रेणियाँ सिन्धुनदके तटतक चली आई हैं। न होते। आजकल भी इन दरौं का राजनैतिक इसके दक्षिण में बेलुचिस्तान है। इसकी उपरोक्त महत्व कम नहीं है। व्यापार भी इन्हीं दरों सीमा बहुत पुरानी नहीं है। यह १६वीं शताब्दी द्वारा होबा है। के अन्तिम २५ वर्षों में ही बनी थो। श्राजकल धरातल–सम्भव है कि सीतोपल (क्रेटसियस) जो अफगानिस्तान के नामसे विख्यात है उसका कालमें जब भारत वर्ष और दक्षिण अफ्रीका स्थल बहुत कुछ ज्ञान द्वितीय अफगान युद्धके बाद ही द्वारा एक ही में मिला हुआ था, उस समय सपूर्ण प्राप्त होता है। १८४ ई० में रुसो-अफगान अफगानिस्तान चाहे जलमें डुबा हुश्रा न हो किन्तु कमीशनने इसकी उत्तरी सरहद निश्चित को थी, | कुछ भाग तो अवश्य ही जलमें था। सीतोपल 1