पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२३३

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अनगपाल हुश्रा था। अनगपाल ज्ञानकोश (अ) २१० हुश्रा, वह इसीके 'अनन्त' के आधार पर लाहोर प्रान्त भी अपने हस्तगत कर लिया। अनंगपालके मृत्युका ठीक ठीक पता नहीं लगता इसका मत है कि पृथ्वो गोल है। जगतकी है। एक जगह ऐसा उल्लेख है कि वह १०१३ ई० रचना तथा प्राणीमात्रकी उत्पत्तिके विषयमें इसने के लगभग मरा। कुछ इतिहासकारोंका मत है बहुत कुछ अनुमान किया है। उसका कथन है कि जिस समम मुहम्मदने लाहोर प्रान्त पर कब्जा कि पहले तारे, फिर पृथ्वी, तदनन्तर इसी क्रमले | किया उस समय तक वह जीवित था। समुद्र तथा जीच, एकके पश्चात् एक उत्पन्न हुए। - कई स्थानों पर अनंगपाल का 'श्रानन्दपाल' जीवमात्रमें सबसे प्रथम मछली (जलचर ), नामसे भी उल्लेख किया गया है। कुछका अनुमान उसके पश्चात् सूइस, कछवा इत्यादि उत्पन्न हुए। है कि दूसरा नाम ठीक होगा। जयपाल, अनङ्गपाल अन्तमें मनुष्यकी रचना हुई। अनक्ज़िमण्डरके तथा त्रिलोचनपाल राजा क्रमसे काबुलके बहमनी मतानुसार जो जीवोत्पत्तिका वर्णन है उसमें तथा राजघराने में (20-१८२१ ) हो गये हैं। इस विष्णु भगवानके मत्स्य, कूर्मादि दस अवतारोंके राज्य की स्थापना लल्लो द्वारा की गई थी। वर्णनमें साम्य देख पड़ता है। यह एक ध्यानमें १०२१ ई० में मुहम्मदने यह वंश समूल नष्टकर रखने योग्य विशेष बात है। डाला। इन राजाओं का काल तथा. नाम इत्यादि अनंगपाल-यह लाहोरका राजा था। मुह- उपरोक्त जयपाल अनङ्गपाल इत्यादिके समान ही म्मद गजनवीने अनेक बार इसकापराभव कियाथा है (मध्ययुगीय भारत भाग २, रा. प्र. ११ वाँ )। जिस समय मुहम्मदने हिन्दुस्थान पर चढ़ाई की इससे यह स्पष्ट है कि अनङ्गपाल अथवाशानन्दपाल (१००१ ई०) उस समय इसके पिता जयपालने | काबुलके बहमनी वंशका ही होगा। उसका सामना किया था। परन्तु इस लड़ाईमैं (२) देहलीके एक तोमर वंशीय राजा का जयपाल हार गया और बहुतसा धन देकर अपने नाम । तुवर अथवा तोमर वंशका यह संस्थापक को छुड़ाया। इस हारसे जयपाल इतना शरमाया था। उसका राज्याभिषेक शक सं०७३६ में हुश्रा कि उसने अग्निकाष्ट भक्षण करना प्रारम्भ किया। था। इसने देहली को ही अपनी राजधानी बनाया उसके पुत्र अनंगपालने मुहम्मदसे कुछ दिन तक था किन्तु इसके वंशज कन्नौज चले गये थे। राठौर तो मित्रता रक्खी और नियत समय पर सालाना के प्रथम राजा चन्द्रदेवने जब इन लोगों को वहांसे कर भेज दिया करता था। परन्तु कुछ कालके हराकर निकाल दिया तो अनङ्गपाल द्वितीयने बाद मुहम्मदके भेजे हुए मुलतानके सूबेदार देहली श्राकर उसे फिर अपनी राजधानी स्थापित अब्दुल फतह लोदीको अपनी ओर मिलाकर यह किया। अनङ्गपाल का शासन काल देहली के खतन्त्रतासे रहने लगा। तब मुहम्मदने. १००५ | प्रख्यात लोह स्तम्भ पर 'सं० ११०६ दिहली अनङ्ग- ई० में पंजाब पर चढ़ाई को और अनंगपालको | पाल बही' इस प्रकार दिया हुआ है। इससे यह काश्मीरकी ओर खदेड़ दिया। परन्तु मुहम्मदके ज्ञात होता है कि अनङ्गपाल सं०१०५०ई० में देहली चले जाने पर उज्जैन, ग्वालियर, कन्नौज, दिल्ली, मैं राज्य करता था। अगली. शताब्दीमें अजमेर अजमेर इत्यादि स्थानोंके राजाओंका एक संघ के चौहान वंशीय विशालदेवने तोमर वंशीय स्थापित कर अनंगपालने मुहम्मद गज़नवीका अनङ्गपालसे देहली छीनली, और उसे एक सामना करनेकी तय्यारी की। पेशावरके मैदानमें छोटासा राज्य देकर अपने राज्य का माण्डलिक ४० दिन तक दोनों ओरकी सेनाएँ केवल एक (सूबेदार ) बनाया। चौहान तथा तोमर धरानों दूसरेकी और देखते हुए तटस्थ खड़ी रहीं । विवाह सम्बन्ध हुआ। पृथ्वीराजका इसी परन्तु शीघ्र ही प्रत्यक्ष युद्ध श्रारम्भ होगया । बहुत घरानेसे जन्म हुआ था। आगे चलकर वह देहली दिनों तक हिन्दुओंने मुसलमानोंका वड़ो वीरतासे का राजा हुआ । सामना किया, परन्तु दुर्भाग्यवश विजय मुस अनंगभी-कलिंग देश का राजा । इसको लमानोंकी ओर ही रही, क्योंकि अनंगपालके हाथी लाडदेव भी कहते थे। इसने एक जगन्नाथ का को एक तीर लगा जिससे वह घबड़ाकर मैदानसे मन्दिर बनवाया था । उस मन्दिरके खम्भेपर भाग निकला । यह देखकर हिन्दुसेना हतो- एक लेख खोदा हुआ है। अनगरंग ग्रंथका त्साही होकर तितिर बितिर हो गयी। इस प्रकार रचयिता कल्याणमल्ल इसीके श्राश्रयमें थे। मुहम्मदकी विजय हुई, और हिन्दू राज्योका पतन अनंगहर्षमात्ररात [--यह नरेन्द्र वर्धनका पुत्र श्रारम्भ होगया । सन् १०२१-२३ ३० मै मुहम्मदने ! हो गया है । इसने तापस वत्सराज' चरित्र