पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२१०

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अथेन्स ज्ञानकोष (अ) १८७ अदन हुए इस छोटेसे राज्यने ४५० ई० पू० में ईरान पर सदा ही लगी रहती थी। अब अग्नेन्सका राज्य विजय पताका फहरा दिया। इस विजयका श्रेय युद्ध तथा राजनैतिक काट छाटोंके लिये प्रसिद्ध न प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थेमिस्टोक्लीज़को ही अधिक होकर केवल विद्या ज्ञान तथा लालित्यकलाके लिये है। ईरान पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् अरि- ही विख्यात रह गया था। परन्तु यह वैभव भी स्टिडोज़ तथा सायमन नामके प्रसिद्ध नेताओंके अथेन्स बहुत दिनों तक न भोग सका। जस्टीनि- नेतृत्वमें अथेन्स उन्नतिके पथपर अग्रसर होता यनके नियमसे तत्त्वज्ञानका अभ्यास रोक दिया रहा। अपने पराक्रम, सुव्यवस्था तथा कर्तव्य- गया और अब प्राचीन अथेन्सका अन्त होगया। परायणताके कारण अथेस डेलियन संघका अध्यक्ष इसके आगेका इतिहास निम्नलिखित तीन चन बैठा और यह एक सम्राज्य माना जाने लगा। | भागोंमें किया जा सकता है-(१) विज़ान्शियम सायमनके बाद पेरीलीज़ नामक प्रसिद्ध राज का शासनकाल, (२) रोमका शासनकाल तथा नीतिज्ञ होगया है। इसने खुल्लमखुल्ला अथेन्सके ! (३) तुर्की शासनकाल । १४५८ ई० में यह तुर्कोके साम्राज्यत्वका प्रसार करना प्रारम्भ कर दिया था। हाथमें आगया था। १८२१ ई० मै इसने एक बार ई० पू० ४४३-४२६ तकका समय अथेन्सके | फिर स्वतन्त्र होनेका प्रयत्न किया था। तुर्कोका इतिहासमै सर्वोत्तम कहा जा सकता है। उस समय १८३३ ई० तक अक्रोपोलिस पर अधिकार रहा। यह अपने पूर्ण वैभव तथा उन्नति पर था उस समय तदनन्तर आधुनिक यूनानकी यह राजधानी इसका व्यापार भी मिश्र तथा कोलचिजसे लेकर नियत हुई। अाधुनिक ऐतिहासिक घटनायें इद्रिया तथा कार्थेज तक फैला हुआ था। साहित्य | यूनान (IFreece) के लेख के अन्तर्गत दिया हुआ है तथा संस्कृतिक विषयमें तो उसके टक्करका कोई | क्योंकि इसका सम्बन्ध सम्पूर्ण यूनान देशसे है। भी न था। यदि स्पार्श अपने कठोर नियमोके अथोर--बड़ोदा राज्यके सिद्धपुर नामक लिये प्रसिद्ध था तो अथेन्स अपने सौन्दर्य पूजामे एक उपभागमें लगभग ढाई हजार जन संख्या का अद्वितीय था। अथेन्स सदा ही ज्ञान तथा विद्या । यह एक छोटा सा गाँव है। यहाँ पर गणेशजी का का भण्डार समझा जाता रहा है। कलाकौशलमें एक प्रसिद्ध मन्दिर तथा एक धर्मशाला है। भी इसके सामने सभी देशोंको सिर झुकाना पड़ता अदन-यह अरेबिया के यमन (Yemen) था। इतना होनेपर भी यह नहीं कहा जा सकता का एक प्रसिद्ध बन्दरगाह तथा नगर है। यह है कि इसके वैभवपूर्ण उज्वल चित्र पर चन्द्रमाको उत्तर अ० १२४६ तथा पू० रे० ४५ १० पर स्थित नाई कहीं भी कालिमाका धब्बा नहीं था। सर्व-! है। यह बाबलमण्डपसे १०० मील पूर्वमें गुण सपन्न पेरिक्लीज़के पश्चात् अथेन्समै जो मन्त्रि- | लाल समुद्र ( Red Sea ) के दक्षिणीय मुहाने मण्डल हुआ वह स्वार्थ तथा भोगविलासके ऐसे पर बसा हुआ है और अंग्रेजोंके श्राधीन है। भयङ्कर गड्ढे में जा गिरा था कि सम्राज्य-प्रसार की यहाँ की श्रावहवा को स्वास्थ्यकर ही कह , नीति ढीली पड़ने लगी और पोलोपोनीशियन सकते हैं। पानी का बहुत कुछ प्रबन्ध करने पर युद्ध में प्रथेलका धीरे धीरे हास होकर श्रध पतन भी उत्तम जल की बहुत कमी है । कभी कभी बड़ो होने लगा। उसके अतीत वैभवका अन्त होगया | भीषण गर्मी पड़ती है। और अन्तमें मेसीडोनके राजा फिलिपका श्राधि अपने स्थानीय महत्वके कारण अद्न योरप पत्य स्वीकार करना पड़ा। मेसीडोनका भी तथा एशियाके व्यापार का मुख्य केन्द्र बना हुआ सिकन्दरकी मृत्युके बाद धीरे धीरे हाल हो रहा । यहाँ कोयले को बड़ी बड़ी खाने है और योरप था और ई. पू. २२९ में उसके हाथसे निकल कर जाने तथा आने वाला प्रत्येक जहाज़ यहाँ कोयला एक बार फिर यह स्वाधीन हुआ। इस बार लेने के लिये अवश्य लङ्गर डालता है। यह नगर यद्यपि यह अपने पूर्व वैभवको प्राप्त न कर सका व्यापारके लिये भी बड़ा प्रसिद्ध हैं। अरेबिया की था तो भी सम्पूर्ण योरपमै अपने प्रजातन्त्रात्मक मुख्य पैदावार यहाँ ही से बाहर भेजी जाती है। राज्यपद्धतिके लिये प्रसिद्ध था। काफी, गोंद, पर, रङ्ग, मोती तथा हाथी दांतका यद्यपि अंथेन्सका अगला इतिहास बिल्कुल काम यहाँसे बाहर भेजा जाता है और रेशमा परतन्त्र नहीं कह सकते तो भी रोमन साम्राज्य तथा सूती कपड़े तथा खाद्य पदार्थ बाहरसे यहाँ के बहुत कुछ अन्तर्गत अवश्य था। २२८ ई० पू० | आते हैं। अंग्रेजोने यहाँ किलाबन्दी कर रक्खी है में अथेन्सने रोमनसे मित्रता स्थापित कर ली थी। और सौनिक छावनी स्थापित की है। यहाँ का रोमन बादशाहोंकी वक्रदृष्टि अथेन्सके राज्य पर | विशाल तथा रमणीक ताल दशर्नीय है। अंग्रेजी