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गोरा बादल युद्ध खंड

तीसर खड़ग कूँड़ पर लावा। काँध गुरुज हुत, घाव न आवा॥
तस मारा हठि गोरे, उठी बज्र कै आगि।
कोइ नियरे नहिं आवै, सिंघ सदूरहि लागि॥ १६ ॥
तब सरजा कोपा बरिबंडा। जनहु सदूर केर भुजदंडा॥
कोपि गरजि मारेसि तस बाजा। जानहु परी टूटि सिर गाजा॥
ठाँठर टूट, फूट सिर तासू। स्यों सुमेरु जनु टूट अकासू॥
धमकि उठा सब सरग पतारू। फिरि गइ दीठि, फिरा संसारू॥
भइ परलय अस सबही जाना। काढ़ा खरग सरग नियराना॥
तस मारेसि स्यों घोड़े काटा। धरती फाटि, सेस फन फाटा॥
जो अति सिह बरी होइ आई। सारदूल सौ कौनि बड़ाई? ॥
गोरा परा खेत महँ, सुर पहुँचावा पान।
बादल लेइगा राजा, लेइ चितउर नियरान॥ १७ ॥














काँध गुरुज हुत = कंधे पर गुर्ज था (इससे)। लागि = मुठभेड़ या यद्ध में।

(१७) बरिबडा = बलवान। सदूर = शार्दूल। तस बाजा = ऐसा आघात पड़ा। ठाँठर = ठठरी। फिरा संसारू = आँखों के सामने संसार न रह गया। स्यों = सहित। सुर पहुँचावा पान = देवताओं ने पान का बीड़ा अर्थात् स्वर्ग का निमंत्रण दिया।