मुए पुनि जूझि जाज, जगदेऊ। जियत न रहा जगत मह केऊ॥
जिनि जानहु गोरा सो अकेला। सिंघ के मोंछ हाथ को मेला॥ ?
सिंघ जियत नहिं आपु धरावा। मुए पाछ कोई घिसियावा॥
करै सिंघ मुख सौहहि दीठी। जौ लगि जियै देइ नहिं पीठी॥
रतनसेन जो बाँधा, मसि गोरा के गात।
जौ लगि रुधिर न धोवौं, तौ लगि होइ न रात॥ १४ ॥
सरजा बीर सिंघ चढ़ि गाजा। आइ सौंह गोरा सौं बाजा॥
पहलवान सो बखाना बली। मदद मीर हमजा औ अली॥
लंधउर धरा देव जस आदी। और को बर बाँधै, को बादी? ॥
मदद अयूब सीस चढ़ कोपे। महामाल जेइ नावँ अलोपे॥
औ ताया सालार सो आए। जेइ कौरव पंडव पिंड पाए॥
पहुँचा आइ सिंघ असवारू। जहाँ सिंघ गोरा बरियारू॥
मारेसि साँग पेट महँ धँसी। काढ़ेसि हुमुकि आँति भुइँ खसी॥
भाँट कहा, धनि गोरा! तू भा रावन राव।
आँति समेटि बाँधि कै, तुरय देत है पव॥ १५ ॥
कहेसि अंत अब भा मुइँ परना। अंत त खसे खेह सिर भरना॥
कहि कै गरजि सिंघ अस धावा। सरजा सारदूल पहँ आवा॥
सरजै लीन्ह साँग पर घाऊ। परा खड़ग जनु परा निहाऊ॥
बज्र क साँग, बज्र कै डाँड़ा। उठा आगि तस बाजा खाँड़ा॥
जानहु बज्र बज्र सौं बाजा। सब ही कहा परी अब गाजा॥
दूसर खड़ग कंध पर दीन्हा। सरजे ओहि ओड़न पर लीन्हा॥
जाज, जगदेऊ = जाजा और जगदेव कोई ऐतहासिक वीर जान पड़ते हैं। घिसियावा = घिसियावे,घसीटे। रतनसेन जो...गात = रतनसेन जो बाँधे गए इसका कलंक गोरा के शरीर पर लगा हुआ है। रुहिर = रुधिर से। रात = लाल अर्थात् कलंकरहित।
(१५) मीर हमजा = मीर हमजा मुहम्मद साहब के चचा थे जिनकी वीरता की बहुत सी कल्पित कहानियाँ पीछे से जोड़ी गई। लँधउर = लंधौर देव नामक एक कल्पित हिंदू राजा जिसे मीर हमजा ने जीतकर अपना मित्र बनाया था; मीर हमजा के दास्तान में यह बड़े डील डौल का और बड़ा भारी वीर कहा गया है। मदद...अली = मानों इन सब वीरों की छाया उसके ऊपर थी। बर बाध = हठ या प्रतिज्ञा करके सामने आए। वादी = शत्रु। महामाल = कोई क्षत्रिय राजा वीर। जेइ = जिसने। सालार = शायद सालार मसऊद गाजी (गाजी मियाँ)। बरियारू = बलवान्। हुमुकि = जोर से। काढ़ेसि हुमुकि = सरजा ने जब भाला जोर से खींचा। खसी = गिरी। (१६) सरजै = सरजा ने। जनु परा निहाऊ = मानो निहाई पर पड़ा (अर्थात् साँग को न काट सका)। डाँड़ा = दंड या खंग। ओड़न = ढाल। कूँड़ = लोहे का टोप। गुरुज = गर्ज, गदा।