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पदमावत

फिरि आगे गोरा तब हाँका। खेलौं, करौं आजु रन साका॥
हौं कहिए धौलागिरि गोरा। टारौं न टारे, अंग न मोरा॥
सोहिल जैस गगन उपराहीं। मेघ घटा मोहिं देखि बिलाहीं॥
सहसौ सीस सेस सम लेखौं। सहसौ नैन इंद्र सम देखौं॥
चारिउ भुजा चतुरभुज आजू। कंस न रहा और को साजू॥
हौं होइ भीम आजु रन गाजा। पाछे घाल डुंगवै राजा॥
होइ हनुवँत जमकातर ढाहौं। आजु स्वामि साँकरे निबाहीं॥
होइ नल नील आजू हौं, देहुँ समुद महँ मेंड़।
कटक साह कर टेकौं, होइ सुमरु रन बेंड़॥ ९ ॥
ओनई घटा चहुँ दिसि आई। छूटहिं बान मेघ झरि लाई॥
डोलै नाहिं देव अस आदी। पहुँचे आइ तुरुक सब बादी॥
हाथन्ह गहे खडग हरद्वानी। चमकहिं सेल बीजु कै बानी॥
सोझ बान जस आवहि गाजा। बासूकि डरै सीस जनु बाजा॥
नेजा उठे डरै मन इंदू, आइ न बाज जानि कै हिंदू॥
गोरै साथ लीन्ह सब साथी। जस मैमंत सूँड़ बिनु हाथी॥
सब मिलि पहिलि उठौनी कीन्हीं। आवत आइ हाँक रन दीन्हीं॥
रुंड मुंड अब टूटहिं, म्यों बखतर औ कूँड़।
तुरय होहिं बिनु काँधे, हस्ति होहि बिनु सूँड़॥ १० ॥
ओनवत आइ सेन सुलतानी। जानहुँ परलय आव तुलानी॥
लोहे सेन सूझ सब कारी। तिल एक कहूँ न सूझ उघारी॥
खड़ग फोलाद तुरुक सब काढ़े। रे बीजु अस चमकहिं ठाढे॥
पीलवान गज पेले बाँके। जानहुँ काल करहिं दुइ फाँके॥
जनु जमकात करसि सब भवाँ। जिउ लेइ चहहिं सरग अपसवाँ॥
सेल सरप जनु चाहहिं डसा। लेहिं काढ़ि जिउ मुख विष बसा॥


(९) हाँका = ललकारा। गोरा = (क) गोरा सामंत, (ख) श्वेत। सोहिल = सुहैल,अगस्तय, तारा। डुंगवै = टीला या धुस्स। पीछे घालि... राजा = रत्नसेन को पहाड़ या धुस्स के पीछे रखकर। साँकरे = संकट में। निबाही = निस्तार करुँ। बेंड़ = बेंड़ा, आड़ा। (१०) देव = दैत्य। आदी = बिल्कुल, पूरा। बादी = शत्रु। हरद्वानी = हरद्वान की तलवार प्रसिद्ध थी। बानी = कांति, चमक। गाजा = वज्र। इंदू = इंद्र। आइ न बाज...हिन्दू = कहीं हिंदू जानकार मुझ पर न पड़े। गोरै = गोरा ने। उठौनी = पहला धावा। स्यों = साथ। कूंड़ = लोहे की टोपी जो लड़ाई में पहनी जाती है। (११) ओनवत = झुकती और उमड़ती हई। लोह = लोहे से। सूझ = दिखाई पड़ती है। फोलाद = फौलाद। करहि दुइ फाँके = चीरना चाहते हैं। फाँके = टुकड़े। जमकात = यम का खाँड़ा, एक प्रकार का खाँड़ा। भवाँ करहिं = घूमते हैं। अपसवाँ चहहिं = चल देना चाहते हैं। सेल = बरछे। सरप = सौंप।