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पदमावत

राजा बँदि जेहि कै सौंपना। गा गोरा तेहि पहँ आगमना॥
टका लाख दस दीन्ह अँकोरा। बिनती कीन्हि पायँ गहि गोरा॥
बिनवा बादशाह सौं जाई। अब रानी पदमावति आई॥
बिनती करै, आइ हौं दिल्ली। चितउर के मोहि स्यों है किल्ली॥
बिनती करै, जहाँ है पूंजी। सब भँडार कै मोहि स्यो कूँजी॥
एक घरी जौ अज्ञा पावौं। राजहि सौंपि मँदिर महँ आवौं॥
तब रखवार गए सुलतानी। देखि अँकोर भए जस पानी॥
लीन्ह अँकोर हाथ जेहि, जीउ दीन्ह तेहि हाथ।
जहाँ चलावै तहँ चलै, फेरे फिरे न माथ॥ ३ ॥
लोभ पाप कै नदी अँकोरा। सत्त न रहै हाथ जौ बोरा॥
जहँ अँकोर तहँ नीक न राजू। ठाकुर केर बिनासै काजू॥
भा जिउ घिउ रखवारन्ह केरा। दरब लोभ चंडोल न हेरा॥
जाइ साह आगे सिर नावा। ए जगसूर! चाँद चलि आवा॥
जावत हैं सब नखत तराईं। सोरह सै चँडोल सो आईं॥
चितउर जेति राज कै पूँजी। लेइ सो आइ पदमावति कूँजी॥
बिनती करै जोरि कर खरी। लेइ सौंपौं राजा एक घरी॥
इहाँ उहाँ कर स्वामी! दुऔ जगत मोहिं आस।
पहिले दरस देखावहु, तौ पठवहु कबिलास॥ ४ ॥
आज्ञा भई, जाइ एक घरी। छूँछि जो घरी फेरि बिधि भरी॥
चलि बिवान राजा पहँ आवा। सँग चंडोल जगत सब छावा॥
पदमावति के भेस लोहारू। निकसि काटि वँदि कीन्ह जोहारू॥
उठा कोपि जस छूटा राजा। चढ़ा तुरंग, सिंघ अस गाजा॥
गोरा बादल खाँड़ै काढे। निकसि कुँवर चढ़ि चढ़ि भए ठाढ़े॥
तीख तुरंग गगन सिर लागा। केहुँ जुगुति करि टेकी बागा॥
जो जिउ ऊपर खड़ग सँभारा। मरनहार सो सहसन्ह मारा॥
भई पुकार साह सौं, ससि औ नखत सो नाहिं।
छरकै गहन गरासा, गहन गरासे जाहिं॥ ५ ॥


(३) सौंपना = देखरेख में, सुपुर्दगी में। अगमना = आगे, पहले। अँकोर = भेंट, घूस, रिश्वत। स्यो = साथ, पास। किल्ली = कुँजी। पानी भए = पिघल कर नरम हो गए। हाथ जेहि = जिसके हाथ से। (४) घिउभा = पिघल कर नरम हो गया। न हेरा = तलाशी नहीं ली, जाँच नहीं की। इहाँ उहाँ कर स्वामी = मेरा पति राजा। कबिलास = स्वर्ग, यहाँ शाही महल। (५)छूंछि...भरी = जो घड़ा खाली था ईश्वर ने फिर भरा, अर्थात् अच्छी घड़ी फिर पलटी। जस = जैसे ही। जिउ उपर = प्राण रक्षा के लिये। छर कै गहन.. जाहि = जिनपर छल से ग्रहण लगाया था वे ग्रहण लगाकर जाते हैं।