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(५२) गोरा बादल युद्धयात्रा खंड

बादल केरि जसोवै मावा। आइ गहेसि बादल कर पावा॥
बादल राय! मोर तुइ बारा। का जानसि कस होइ जुझारा॥
बादसाह पुहुमीपति राजा। सनमुख होइ न हमीरहि छाजा॥
छत्तिस लाख तुरय दर छाजहिं। बीस सहस हस्ती रन गाजहिं॥
जबहीं आइ चढ़ै दल टटा। दीखत जैसि गगन घन घटा॥
चमकहिं खड़ग जो बीजु समाना। घुमरहिं गलगाजहिं नीसाना॥
बरिसहिं सेल बान घनघोरा। धीरज धीर न बाँधहि तोरा॥
जहाँ दलपती दलि मरहिं, तहाँ तोर का काज।
आजु गवन तोर आवै, बैठि मानु सुख राज॥ १ ॥
मातु! न जानसि बालक आदी। हौं बादला सिंघ रनवादी॥
सुनि गज जूह अधिक जिउ तपा। सिंघ क जाति रहै किमि छपा? ॥
तौ लगि गाज, न गाज सिंघेला। सौंह साह सौं जरौं अकेला॥
को मोहिं सौँह होइ मैमंता। फारौं सूँड़, उखारौं दंता॥
जुरौ स्वामि सँकरे जस ढारा। पेलौ जस दुरजोधन भारा॥
अँगद कोपि पाँव जस राखा। टेकौं कटक छतीसौ लाखा॥
हनुवँत सरिस जंघ बर जोरौं। दहौं समुद्र, स्वामि बँदि छोरौं॥
सो तुम, मानु जसोवै! मोहिं न जानहु बार।
जहँ राजा बलि बाँधा छोरौं पैठि पतार॥ २ ॥
बादल गवन जूझ कर साजा। तैसेहि गवन आइ घर बाजा॥
का बरनौं गवने कर चारू। चंद्रबदनि रचि कीन्ह सिंगारू॥
माँग मोति भरि सेंदुर पूरा। बैठ मयूर, बाँक तस जूरा॥
भौंहैं धनुक टकोरि परीखे। काजर नैन, मार सर तीखे॥
घालि कचपची टीका सजा। तिलक जो देख ठाँव जिउ तजा॥


(१) जसोवै = यह 'यशोदा' शब्द का प्राकृत या अपभ्रंश रूप है। पावा = पैर। जुझारा = युद्ध। ठटा = समूह बाँधकर। (२) आदी = नितांत, बिलकुल। सिंघेला = सिंघ का बच्चा। मैमंता = मस्त हाथी। स्वामि सकेरे = स्वामी के संकट के समय में। जस ढारा = ढाल के समान होकर। पेलों = जोर से चलाऊँ। भारा = भाला। टेकौं = रोक लूँ। जंघ बर जोरौं = जाँघों में बल लाऊँ। बार = बालक। (३) जूझ = युद्ध। गबन - बधू का प्रथम प्रवेश। चारू = रीति व्यवहार। बाँक = बाँका, सुंदर। जूरा = बँधी हुई चोटी का गुच्छा। टकोरि = टंकार देकर। परीखे = परीक्षा की, आजमाया। घालि = डालकर, लगा कर। कचपची = कृत्तिका नक्षत्र; यहाँ चमकी।