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पदमावत

हिंदु देव काह बर खाँचा? सरगहु अब न सूर सौं बाचा॥
एहि जग आगि जो भरि मुख लीन्हा। सो सँग आगि दुहूँ जग कीन्हा॥

रनथँभउर जग जरि बुझा, चितउर परै सो आगि।
फेरि बुझाए ना बुझै, एक दिवस जौ लागि॥ ६ ॥

 

लिखा पत्र चारिहु दिसि धाए। जावत उमरा बेगि बोलाए।
दुंद घाव भा इंद्र सकाना। डोला मेरु सेस अकुलाना॥
धरती डोलि कमठ खरभरा। मथन अरंभ समुद्र महँ परा॥
साह बजाइ कढ़ा जग जाना। तीस कोस भा पहिल पयाना॥
चितउर सौंह बारिगह तानीं। जहँ लगि सुना कूच सुलतानी॥
उठि सरवान गगन लगि छाए। जानहु राते मेघ देखाए॥

हस्ति घोड़ औ दर, पुरुष जावत बेसरा ऊँट।
जहँ तहँ लीन्ह पलानै कटक, सरह अस छूट ॥ ७ ॥

 

चल पंथ बेसर<ref> सुलतानी। तीख तुरंग बाँक कनकानी॥
कारे, कुमइत, लील, सुपेते। खिंग, कुरंग, बोज, दुर केते॥
अबलक, अरबी, लखी, सिराजी। चौधर चाल सँमद भल ताजी॥
किरमिज, नकुरा, जरदे, भले। रूपकरान, बोलसर, चले॥
पँचकल्यान, सँजाब, बखाने। महि सायर सब चुनि चुनि आने॥
मुशकी औ हिरमिजी, एराकी। तुरकी कहे भोथार बुलाकी॥
बिखरि चले जो पाँतिहि पाँती। वरन बरन औ भाँतिहि भाँती॥

सिर औ पूँछ उठाए, चहूँ दिसि साँस ओनाहि।
रोष भरे जस बाउर, पवन तुरास उड़ाहिं॥ ८ ॥

 

लोहसार हस्ती पहिराए। मेघ साम जनु गरजत आए।
मेघहि चाहि अधिक वै कारे। भएउ असूझ देखि अँधियारे॥


बर खाँचा = क्या हठ दिखाता है। रनथँभउर = रणथंभौर का प्रसिद्ध वीर हम्मीर अलाउद्दीन से लड़कर मारा गया था। (७) दुंद घाव = डके पर चोट। सकाना = डरा। अरंभ = शोर। बारिगह = वारगाह, दरबार (?)। बारिगह तानी = दरबार बढ़ा (?)। सरवान =झंडा या तंबू (?) । सूता = सोया हुआ। दर = दल सेना। दर = दल सेना। बेसर = खच्चर। पलानै लीन्ह = घोड़े, कसे। सरह = शलभ, टिड्डी। (८) कनकानी = एक प्रकार के घोड़े जो गदहे से कुछ ही बड़े और बड़े कदमबाज होते हैं। १. पाठांतर = 'गैगह'। कुमइत = कुम्मैत। खिंग = सफेद घोड़ा जिसके मुँह पर का पट्टा सुम गुलाबीपन लिए हों। कुरंग = कुलंग। लखी = लाखी। सिराजी = शीराज के। चौधर = सरपट या पोइयाँ चाल। किरमिज = किरमिजी रंग के। तुरास = वेग। (९) लोहसार = फौलाद। अँधियार = काले।