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जोगी खंड

ततखन बोला सुआ सरेखा। अगुआ सोइ पंथ जेहि देखा॥
सो का उड़ै न जेंहि तन पाँखू। लेइ सो परासहि बूड़त साखू॥
जस अंधा अंधै कर संगी। पंथ न पाव होइ सहलंगी॥
सुनु मत, काज चहसि जौं साजा। बीजानगर विजयगिरि राजा॥
पहुचौ जहाँ गोंड और कोला। तजि वाएँ अँधियार, खटोला॥
दक्खिन दहिने रहहि तिलंगा। उत्तर बाएँ गढ़ काटंगा॥
माँझ रतनपुर सिंधदुवारा। झारखंड देइ वाँव पहारा॥

आगे पाव उड़ैसा, बाएँ दिए सो बाट।
दहिनावरत देइ कै, उतरु समुद के घाट॥१३॥

होत पयान जाइ दिन केरा। मिरिगारन महँ भएउ बसेरा॥
कुस साँथरि भइ सौंर सुपेती। करवट आइ बनी भुइँ सेंती॥
चलि दस कोस ओस तन भीजा। काया मिलि तेहिं भसम मलीजा॥
ठाँव ठाँव सव सोअहिं चेला। राजा जागै आपु अकेला॥
जेहि के हिये पेम-रँग जामा। का तेहि भूख नींद विसरामा॥
वन अँधियार, रैनि अँधियारी। भादों बिरह भएउ अति भारी॥
किंगरी हाथ गहे बैरागी। पाँच तंतु धुन झोही लागी॥

नैन लाग तेहि मारग, पदमावति जेहि दीप।
जैस सेवातिहि सेवै, बन चातक, जल सीप॥१४॥


 

(१३) सरेख = सयाना, श्रेष्ठ, चतुर। लेइ सो. . .साखू = शाखा डूबते समय पत्ते को ही पकड़ता है। परास = पलास पत्ता। सहलंगी सँगलगा; साथी। बीजानगर = विजयानगरम्‌। गोड़ और कोल = जंगली जातियाँ। अँधियार = अँजारी जो बीजापुर का एक महाल था। खटोला = गढ़मंडला का पश्चिम भाग। गढ़ काटंग = गढ़ कटंग, जबलपुर के आसपास का प्रदेश। रतनपुर = विलासपुर के जिले में आजकल है। सिंधदुआरा = छिंदवाड़ा (?)॥ झारखंड = छतीसगढ़ और गोंडवाने का उत्तर भाग। (१४) सौंर चादर। सती = से।