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पदमावत

आगे सगन सगनियै ताका। दहिने माछ रूप के टाँका॥
भरे कलस तरुनी जल आई। 'दहिउ लेहु' ग्वालिनि गोहराई॥
मालिनि आव मौर लिए गाँथे। खंजन बैठ नाग के माथ॥
दहिने मिरिग आइ बन धाएँ। प्रतीहार बोला खर बाएँ॥
विरिख सँवरिया दहिने बोला। बाएँ दिसा चाषु चरि डोला॥
बाएँ अकासी धौरी आई। लोवा दरस आइ दिखराई॥
बाएँ कुररी, दहिने कूचा। पहुँचे भुगुति जैस मन रूचा॥

जा कहँ सगुन होहिं अस औ गवनै जेंहि आस।
अस्ट महासिधि तेहि कहँ, जस कवि कहा वियास॥१०॥

भएउ पयान चला पुनि राजा। सिंगि नाद जोगिन कर बाजा॥
कहेन्हि आजु किछु थोर पयाना। काल्हि पयान दूरि हैं जाना॥
ओहि मिलान जौ पहुँचे कोई। तब हम कहव पुरुष भल सोई॥
है आगे परबत कै बाटा। विषम पहार अगम सुठि घाटा॥
बिच विच नदी खोह औ नारा। ठावहिँ ठाँव बैठ बटपारा॥
हनुवेंत केर सुनव पुनि हाँका। दहूँ को पार होइ, को थाका॥
अस मन जानि सँभारहु आगू। अगुआ केर होहु पछलागू॥

करहिं पयान भोर उठि, पंथ कोस दस जाहिं।
पंथी पंथा जे चलहिं, ते का रहहिं ओठाहिं॥११॥

करहु दीठि थिर होइ बटाऊ। आगे देखि धरहु भुदँ पाऊ॥
जो रे उवट होइ परे भूलाने। गए मारि, पथ चलै न जाने॥
पाँयन पहिरि लेहु सब पौरी। काँट धसैं, न गडै अँकरौरी॥
परे आइ बन परवत माहाँ। दंडाकरन वीर वन जाहाँ॥
सघन ढाँख बन चहुँँदिसि फला। बह दुख पाव उहाँ कर भूला॥
झाँखर जहां सा छाँड़हु पंथा। हिलगि मकोइ न फारहु कंथा॥
दहिने विदर, चेदेरी बाएँ। दहूँ कहँ होइ बाट दुइ ठाएँ॥

एक बात गइ सिंघल, दूसरि लंक समीप।
हैं आगे पथ दूऔ, दहुँ गौनव केहि दीप॥१२॥


मढ़ = मठ (१०) सगुनिया = शकुन जाननेवाला। माछ = मछली। रूप = रूपा, चाँदी। टॉका = बरतन। मौर = फूलों का मुकुट जो विवाह में दूल्हे को पहनाया जाता है (सं० मुकुट, प्रा० मउड़)। गाँथे गथे हुए। बिरिख = वृष, बैल। सांवला, काला। चाषु = चाप, नीलकंठ। अकासी धौरी = क्षेंमकरी चील जिसका सिर सफेद और सब अंग लाल या खैरा होता है। लोवा = लोमड़ी। कुररी = टिटिहरी। कूचा = काँच, कराकुल, कुज।

(११) मिलान = टिकान, पड़ाव। ओठाहिं = उस जगह। (१२) बटाऊ = पथिक। उबड़ = उबड़ खाबड़, कठिन मार्ग। दंडाकरन = दंडकारप्य। बीभवन = सघन वन। भाँखर = कैंटीली भड़ियाँ। हिलगि = सटकर।