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घोर यंत्रणापूर्ण नरक में न डाल दिए जायँगे तब तक अल्लाह का कोप शांत न होगा। अंत में मुहम्मद साहब और उनके अनुयायी किस प्रकार स्वर्ग की अप्सराओं से विवाह करके नाना प्रकार के सुख भोगेंगे यही दिखाकर पुस्तक समाप्त की गई है।

चैत्र पूर्णिमा रामचंद्र शुक्ल
संवत १९९२