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10 / जाति क्यों नहीं जाती ?
 

रहा है। मानव प्राणियों को कई तरह की मुसीबतों को भारी कठिनाइयों को सहना पड़ता है।

सारांश, अपने इस सूर्यमंडल का और जिस धरती पर हम लोग रह रहे हैं, उस धरती का निर्माता यदि एक है तो उस धरती पर जितने देश हैं, वहाँ के लोगों का एक-दूसरे के साथ नफरत और घृणा तथा हर किसी में व्यर्थ की राष्ट्रभक्ति और व्यर्थ का धर्माभिमान क्यों मौजूद है ? उसी प्रकार इस धरती के कई देशों की सभी नदियाँ महासागर को जाकर मिलती हैं, फिर एक देश की ही नदी पवित्र कैसे हो सकती है ? क्योंकि वह महापवित्र नदी भी कुत्तों का मल-मूत्र अपने जलप्रवाह में लेकर महासागर में जाकर मिलाने में कोई हिचकिचाहट महसूस नहीं करती है ?

बलवंतराव : तो फिर इस धरती के पृष्ठभाग पर जो लोग रहते हैं, उनमें से कुछ लोगों को महापवित्र मानकर, उनको भूदेव (ब्राह्मण) की तरह सम्मान देकर उनको ही श्रेष्ठ क्यों मानते हैं ?

जोतीराव : इस धरती के पृष्ठभाग पर सभी मानव प्राणी इंद्रियों से और बुद्धि तथा होशियारी से एक समान हैं। फिर उनमें से कुछ लोग खानदानी, पवित्र और श्रेष्ठ कैसे हो सकते हैं ? उनको सभी की तरह पैदा होकर सभी की तरह ही मरना है। फिर वे भी सभी लोगों की तरह अच्छे और बुरे गुणों में माहिर हैं । ऐसा है या नहीं ?

नारी

बलवंतराव : आपने पहले कहा है कि सभी औरतों को उनके मानवी हक का पता न चलने पाए, इसी इरादे से लोभी पुरुषों ने उनको पढ़ने-लिखने से दूर रखा, उनकी शिक्षा पर रोक लगा दी, इस तरह स्त्रियों पर कई जुल्म और ज्यादतियाँ हुई हैं, उनमें से नमूने के लिए कुछ मिसालें दें, यह अच्छा होगा।

जोतीराव : देखिए, पहले के जमाने में साठ-सत्तर साल के जर्जर हुए पोपले मरियल बूढ़े आर्य भट्ट ब्राह्मण पहली औरत के मरते ही अल्प उम्र की सुंदर लड़की से दोबारा ब्याह करके उस अबला की जवानी को मिट्टी में मिला देते थे किंतु नाबालिग अवस्था में अज्ञानी लड़की के विधवा हो जाने पर किसी भी हालत में दुबारा विवाह नहीं करना चाहिए, इसलिए कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे। उसके परिणाम निम्न प्रकार से हुए हैं- पवित्रता का खोखला दिखावा