पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/८६

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जाति, वर्ग और संपत्ति के संबंध / 87 विरुद्ध संघर्ष को कृषि क्रांति से, और साम्राज्यवादी शासन के विरुद्ध संघर्ष से, जोड़ा। यही अकेली पार्टी थी जिसने कृषि-क्रांति और वर्ग-संघर्ष को हिंदू-मुस्लिम भेदभाव को दूर करने की कुंजी बताया। 1930 में सी. पी. आइ. द्वारा प्रस्तुत 'कार्रवाई के लिए मंच' में कहा गया था कि : ब्रिटिश साम्राज्यवादी शासन का ही यह नतीजा है कि आज भी हमारे देश में लाखों की तादाद में गुलाम हैं। आज भी समाज से बहिष्कृत करोड़ों अछूत मेहनतकश हैं जिन्हें कोई अधिकार ही नहीं है। ब्रिटिश शासन, जमींदारी प्रथा, प्रतिक्रियावादी जाति प्रथा, धार्मिक पाखंड और गुलामी तथा भूदासता की सारी पुरानी परंपराएं, हमारे देश की जनता का गला घोंट रही हैं तथा जनता की मुक्ति के रास्ते में बाधक हैं। इन्हीं का नतीजा है कि आज बीसवीं शताब्दी में भी हमारे देश में अछूत हैं जिन्हें अन्य मनुष्यों से मिलने-जुलने, सार्वजनिक कुओं से पानी पीने, सार्वजनिक स्कूलों में पढ़ने आदि का कोई अधिकार ही नहीं है । भारतीयों के नाम पर लगे हुए इस शर्मनाक धब्बे को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करने के बजाय गांधी और दूसरे कांग्रेसी नेता जाति प्रथा को बनाये रखने का आह्वान कर रहे हैं । यह जाति प्रथा ही है जिसके चलते अछूतों की यह अवस्था है। यही अछूतों के सामाजिक रूप से बहिष्कृत होने का औचित्य सिद्ध करती है। जाति प्रथा के इस सुधरे हुए गांधीवादी रूप का निर्मम ध्वंस, कृषि-क्रांति और ताकत के बल पर ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने का रास्ता ही एकमात्र रास्ता है, जिस पर चलकर मेहनतकश अछूतों और गुलामों की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और न्यायिक मुक्ति हो सकती है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी सभी अछूतों का आह्वान करती है कि वे देश भर के मजदूरों के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन और जमींदारीविरोधी संयुक्त क्रांतिकारी मोर्चे का हिस्सा बनें । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी सभी अछूतों का आह्वान करती है कि वे देश की मेहनतकश जनता के एक हिस्से के खिलाफ दूसरे हिस्से को खड़ा करने की ब्रिटिश साम्राज्यवादियों और उनके प्रतिक्रियावादी एजेंडों की चालों से बचें। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी गुलामी, जाति प्रथा और हर किस्म की जातिगत असमानता के पूरी तरह से खात्मे के लिए संघर्ष करती है - भले ही वह असमानता सांस्कृतिक, सामाजिक या किसी भी रूप में क्यों न हो । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी का संघर्ष मेहनतकश अछूतों और हमारे देश की मेहनतकश जनता के हर हिस्से की