पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/५५

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56 / जाति क्यों नहीं जाती ? पैगम्बर या कानूनदाता कहे जाने वाले महान व्यक्ति ने बनाया है। आपत्तिजनक बात यह है कि इस संहिता को अंतिमता व स्थिरता प्रदान की गई है। मन की प्रसन्नता किसी व्यक्ति की अवस्थाओं तथा परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है। मन की प्रसन्नता अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग काल में भी बदलती रहती है। इस स्थिति में मानवता कब तक शिकंजे में जकड़े और अपंग बने रहकर इस बाहरी कानून की संहिता को सहन कर सकती है ? इसलिये यह कहने में मुझे कोई झिझक नहीं है कि ऐसे धर्म को नष्ट किया जाना चाहिए तथा ऐसे धर्म को नष्ट करने का कार्य अधर्म नहीं कहलाएगा । वास्तव में, मैं कहता हूं कि आपका परम कर्तव्य यह है कि आप इस मुखौटे को उतार दो जो गलत रूप से कानून को धर्म बताता है। आपके लिए यह एक आवश्यक कार्य है। एक बार आप लोगों को साफ साफ बता देते हैं कि यह धर्म, धर्म नहीं है, यह वस्तुतः एक कानून है। तब आप यह कहने की स्थिति में होंगे कि इसमें संशोधन किया जाए या इसे समाप्त किया जाए। जब तक लोग इसे धर्म मानते रहेंगे, तब तक वे इसमें संशोधन के लिए तैयार नहीं होंगे, क्योंकि यदि आमतौर पर कहा जाए तो धर्म को बदल डालने का विचार मान्य नहीं होता है। लेकिन कानून की धारणा बदलाव की धारणा से जुड़ी होती है। और जब आप समझ जाते हैं कि यह धर्म एक पुराना तथा पुरातत्वीय है, तब तो इसे बदलने के लिए तैयार हो जाएंगे क्योंकि लोग जानते हैं कि कानून बदला जा सकता है। ( 18 ) शास्त्रों की सत्ता को हटाओ आपको अपने धर्म को एक नया सैद्धान्तिक आधार देना होगा, जो स्वतन्त्रता, समानता और भाई-चारे के, संक्षेप में, प्रजातंत्र के अनुरूप हो। इसका तात्पर्य है कि मनुष्य और चीजों के प्रति दृष्टिकोण तथा रवैऐ में पूरा बदलाव लाया जाए। इसका अर्थ है ‘धर्म-परिवर्तन' परन्तु यदि आप इस शब्द को पसंद नहीं करते तो मैं कहूंगा इसका अर्थ है—नया जीवन । लेकिन एक नया जीवन मृत शरीर में प्रवेश नहीं कर • सकता। नया जीवन केवल नए शरीर में ही प्रवेश कर सकता है। इससे पहले कि नया शरीर अस्तित्व में आए और उसमें नया जीवन प्रवेश कर सके, पुराने शरीर को हर हालत में मरना चाहिए। साधारण शब्दों में, इससे पहले कि नया जीवन डाला जाए और उसमें स्पंदन हो, पुराने ढर्रे को समाप्त होना चाहिए। यही मेरे कहने का अर्थ है, जब मैंने कहा था कि शास्त्रों की सत्ता को हटाओ और शास्त्रों का धर्म नष्ट कर दो।