पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/५३

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54 / जाति क्यों नहीं जाती ? आप इन समाज सुधारकों के कार्यों का समर्थन कर सकते हैं और हिन्दुओं को उपदेश दे सकते हैं कि वे उनका पालन करें? यह सच है कि मनु ने श्रुति और स्मृति के साथ अनुशासित के रूप में सदाचार को भी शामिल कर दिया है। वास्तव में सदाचार को शास्त्रों के अपेक्षाकृत उच्च स्थान प्रदान किया गया है : यद्यद्दाचर्यते येन धम्यं वाऽधर्म्यमेव वा । देशस्याचरणं नित्यं चरित्रं तद्धिकीर्तितम् ॥ सदाचार - भले ही शास्त्रों के अनुसार धर्म्य या अधर्म्य हो या शास्त्रों के प्रतिकूल हो, लेकिन उसका पालन करना होगा। सदाचार का अर्थ क्या है ? यदि कोई व्यक्ति यह मानता है कि सदाचार का अर्थ किसी भले या धार्मिक व्यक्ति के उचित या नेक कार्यों से है तो यह उसकी सबसे बड़ी गलती होगी। सदाचार का अर्थ नेक कार्यों या नेक व्यक्ति के कार्यों से नहीं है। इसका अर्थ अच्छी या बुरी- प्राचीन प्रथा से है। यह बात निम्नलिखित श्लोक में स्पष्ट की गई है। : - यस्मिन् देशे य आचार: पारंपर्यक्रमागतः । वर्णानां किल सर्वेषां स सदाचार उच्यते ॥ लोगों को इस विचार के विरुद्ध चेतावनी देने के लिए कि सदाचार का अर्थ नेक कार्यों या नेक व्यक्ति के कार्यों से नहीं है और इस बात की आशंका करते हुए कि लोग इसका अर्थ वैसा ही समझ सकते . और नेक व्यक्तियों के कार्यों का अनुसरण कर सकते हैं, स्मृतियों में हिन्दुओं को स्पष्ट आज्ञा दी गई है कि वह नेक कार्यों के लिए देवताओं का भी अनुसरण न करें, यदि वे श्रुति, स्मृति और सदाचार के प्रतिकूल है। इसे आप चाहे असाधारण या अत्यन्त विकृत विचार कह सकते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि 'न देव चरितं चरेत् ' एक निषेधाज्ञा है, जो हिन्दुओं को उनके शास्त्रों द्वारा दी गई है। किसी भी सुधारक के शास्त्रागार में तर्क और नैतिकता - दो ही शक्तिशाली हथियार होते हैं। यदि उससे ये दोनों हथियार छीन लिए जाएं तो वह कार्य करने में अशक्त हो जाएगा। आप जाति-व्यवस्था को कैसे समाप्त कर पायेंगे, जब लोगों को यह सोचने की स्वतन्त्रता नहीं है कि क्या यह नैतिकता के अनुकूल है ? जाति- व्यवस्था के चारों तरफ बनाई गई दीवार अभेद्य है और जिस सामग्री से इसका निर्माण किया गया है, उसमें तर्क और नैतिकता जैसी कोई ज्वलनशील वस्तु नहीं है । इसी दीवार के पीछे ब्राह्मणों की फौज खड़ी है - उन ब्राह्मणों की जो एक बुद्धिजीवी वर्ग है, उन ब्राह्मणों की जो हिन्दुओं के प्राकृतिक नेता हैं, उन ब्राह्मणों की