पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/४७

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48 / जाति क्यों नहीं जाती ? कश्मीरी और बंगाल के ब्राह्मण में कोई समानता नहीं है। दक्षिण के ब्राह्मण शाकाहारी होते हैं, जब कि कश्मीर और बंगाल के ब्राह्मण मांसाहारी जहां तक आहार का सम्बन्ध है, डकन और दक्षिण भारत के ब्राह्मणों और ब्राह्मणेतर गुजराती, मारवाड़ी, बनियों और जैन जैसी जातियों में काफी समानता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक से दूसरी जाति में संक्रमण को आसान बनाने के लिए उत्तरी भारत के कायस्थों और दक्षिण भारत की अन्य ब्राह्मणेतर जातियों को डकन तथा द्रविड़ प्रदेश की ब्राह्मणेतर जातियों में मिला देना दक्षिण भारत के ब्राह्मणों को उत्तर भारत के ब्राह्मणों में मिला देने के अपेक्षाकृत अधिक व्यावहारिक होगा। लेकिन यदि यह मान लिया जाए कि उप-जातियों का विलय सम्भव है, तो इस बात की क्या गारंटी है कि उप जातियों के समाप्त होने के परिणामस्वरूप जातियां निश्चित रूप से समाप्त हो जाएंगी। इस स्थिति में उप-जातियों के समाप्त होने से जातियों की जड़ें और मजबूत हो जाएंगी और वे शक्तिशाली बन जाएंगी। परिणामस्वरूप वे अधिक हानिकर सिद्ध होंगी। अतः यह उपाय न तो व्यवहार्य है और न ही कारगर । यह उपाय निश्चित रूप से गलत सिद्ध होगा। जाति-व्यवस्था समाप्त करने की एक और कार्य योजना है कि अंतर्जातीय खान-पान का आयोजन किया जाए। मेरी राय में यह उपाय भी पर्याप्त नहीं है। ऐसी अनेक जातियां हैं, जो अंतर्जातीय खान-पान की अनुमति देती हैं। इस विषय में सामान्य अनुभव यह रहा है कि अंतर्जातीय खान-पान की व्यवस्था जाति-भावना या जाति-बोध को समाप्त करने में सफल नहीं हो पाई है। मुझे पूरा विश्वास है कि इसका वास्तविक उपचार अंतर्जातीय विवाह ही है। केवल खून के मिलने से ही रिश्ते की भावना पैदा होगी और जब तक सजातीयता की भावना को सर्वोच्च स्थान नहीं दिया जाता, तब तक जाति-व्यवस्था द्वारा उत्पन्न की गई पृथकता की भावना अर्थात् पराएपन की भावना समाप्त नहीं होगी । हिन्दुओं में अंतर्जातीय विवाह सामाजिक जीवन में निश्चित रूप से महान शक्ति का एक कारक सिद्ध होगा। गैर- हिन्दुओं में इसकी इतनी आवश्यकता नहीं है। जहां समाज सम्बन्धों के ताने-बाने से सुगठित होगा, वहां विवाह जीवन की एक साधारण घटना होगी। लेकिन जहां समाज छिन्न-भिन्न है, वहां बाध्यकारी शक्ति के रूप में विवाह की परम आवश्यकता होती है। अतः जाति व्यवस्था को समाप्त करने का वास्तविक उपाय अंतर्जातीय विवाह ही है। जाति व्यवस्था समाप्त करने के लिए जाति-विलय जैसे उपाय को छोड़कर और कोई उपाय कारगर सिद्ध नहीं होगा। आपके जातपांत तोड़क मंडल ने आक्रमण की यही नीति अपना रखी है। यह सीधा और सामने का आक्रमण है। मैं