पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/४६

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जातिप्रथा उन्मूलन / 47 अपेक्षा अधिक हिंसात्मक रूप में संग्राम चलता रहा। फिर भी, यूरोप में कमजोर व्यक्ति को सेना में अपने शारीरिक शस्त्र, दुख-दर्द में राजनीतिक शस्त्र और शिक्षा में नैतिक शस्त्र का प्रयोग करने की स्वतन्त्रता प्राप्त थी। यूरोप में शक्तिशाली व्यक्ति ने स्वतन्त्रता के उक्त तीन हथियारों को कमजोर व्यक्ति से कभी नहीं छीना। लेकिन भारत में चातुर्वर्ण्य के अनुसार जन समुदाय को उक्त तीनों शस्त्र धारण करने से वंचित किया गया था। चातुर्वर्ण्य से बढ़कर सामाजिक संगठन की और कोई अपमानजनक पद्धति नहीं हो सकती। यह वह व्यवस्था है, जिसमें लोगों की उपयोगी क्रिया समाप्त, उप तथा अशक्त हो जाती है। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। इतिहास में इसका पर्याप्त प्रमाण मिलता है । (14) जातिप्रथा का वास्तविक उपचार अन्तर्जातीय विवाह है मेरी राय में इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब तक आप अपनी सामाजिक व्यवस्था नहीं बदलेंगे, तब तक कोई प्रगति नहीं होगी। आप समाज को रक्षा या अपराध के लिए प्रेरित कर सकते हैं। लेकिन जाति व्यवस्था की नींव पर कोई निर्माण नहीं कर सकते। आप राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकते, आप नैतिकता का निर्माण नहीं कर सकते । जाति व्यवस्था की नींव पर आप कोई भी निर्माण करेंगे, वह चटक जाएगा और कभी भी पूरा नहीं होगा। । अब केवल एक प्रश्न रहता है, जिस पर विचार करना है। वह यह है कि ‘हिन्दू सामाजिक व्यवस्था में सुधार कैसे किया जाए ?' जातिप्रथा को कैसे समाप्त किया जाए? यह प्रश्न अत्यन्त महत्वपूर्ण है। ऐसा विचार व्यक्त किया गया है कि जाति-व्यवस्था में सुधार करने के लिए पहला कदम यह होना चाहिए कि उप- जातियों को समाप्त किया जाए। यह विचार इस उप-धारणा पर आधारित है कि जातियों के बीच तौर-तरीकों और स्तर के अपेक्षाकृत उप-जातियों के तौर-तरीकों तथा स्तर में अधिक समानता है। मेरे विचार से यह गलत धारणा है। डकन तथा दक्षिण भारत के ब्राह्मणों की तुलना में उत्तर तथा मध्य भारत के ब्राह्मण सामाजिक रूप से निम्न श्रेणी के हैं। उत्तर तथा मध्य प्रांत के ब्राह्मण केवल रसोइया और पानी पिलाने वाले हैं, जब कि डकन और दक्षिण भारत के ब्राह्मणों का सामाजिक स्तर बहुत ऊंचा है। दूसरी ओर, उत्तरी भारत के वैश्य और कायस्थ बौद्धिक एवं सामाजिक रूप से डकन और दक्षिण भारत के ब्राह्मणों के समकक्ष होते हैं। इसके अतिरिक्त आहार के मामले में भी डकन और दक्षिण भारत के ब्राह्मणों और