पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/४२

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जातिप्रथा उन्मूलन / 43 इन नामों को जारी रखने में एक और भी आपत्ति है, सभी सुधारों के मूल में यह तथ्य होता है कि मनुष्यों और वस्तुओं के प्रति लोगों की धारणाओं, भावनाओं और मानसिक प्रवृति में परिवर्तन हो जाए। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वे नाम हैं, जिनकी हर हिन्दू के मस्तिष्क में एक निश्चित और रूढ़ धारणा बनी हुई है। वह धारणा यह है कि ये सभी जातियां जन्म के आधार पर एक सोपानिक क्रम में हैं। जब तक ये नाम बने रहेंगे, तब तक हिन्दू जन्म के आधार पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को ऊंची से लेकर निम्नतम जाति के सोपानिक क्रम में मानते रहेंगे और तदनुसार व्यवहार करेंगे। हिन्दुओं को यह सब कुछ भूल जाना होगा। लेकिन जब तक ये पुराने नाम बने रहेंगे, तब तक वह इन्हें कैसे भुला सकेंगे- ये तो उनके दिमाग में उनकी पुरानी धारणाओं को पुनः जागृत करते रहेंगे। अगर लोगों के मन में नई धारणाओं को स्थापित करना है तो उन्हें नया नाम देना भी जरूरी है। पुराने नाम को बनाए रखने का अर्थ किसी भी सुधार को निरर्थक बना देना होगा। गुण आधार पर इस चातुर्वर्ण्य को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के अनर्थकारी नामों से रखना – जिनसे जन्म के आधार पर सामाजिक विभाजन का संकेत मिलता है, समाज के लिए एक फन्दे की तरह है। (12) स्त्रियों का क्या होगा ? मेरे लिए यह चातुर्वर्ण्य जिसमें पुराने नाम जारी रखे गए हैं, घिनौनी वस्तु है, जिससे मेरा पूरा व्यक्तित्व विद्रोह करता है। लेकिन मैं यह नहीं चाहता कि मैं केवल भावनाओं के आधार पर चातुर्वर्ण्य के प्रति आपत्ति प्रकट करूं । इसका विरोध करने के लिए मेरे पास अधिक ठोस कारण हैं। इस आदर्श की अच्छी जांच-परख के बाद मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि यह चातुर्वर्ण्य सामाजिक संगठन प्रणाली के रूप में अव्यावहारिक, घातक और अत्यन्त असफल रहा है। व्यावहारिक दृष्टि से भी चातुर्वर्ण्य से ऐसी अनेक कठिनाइयां उत्पन्न होती हैं, जिन पर इसके समर्थकों ने ध्यान नहीं दिया। जाति का आधारभूत सिद्धान्त वर्ण के आधारभूत सिद्धान्त से मूल रूप से भिन्न है, न केवल मूल रूप से भिन्न है, बल्कि मूल रूप से परस्पर विरोधी । पहला सिद्धान्त गुण पर आधारित है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति गुणों के आधार पर नहीं, बल्कि जन्म के आधार पर ऊंची हैसियत पा जाए तो आप उसे कैसे उस जगह से हटने के लिए बाध्य करेंगे? आप लोगों को इस बात के लिए कैसे बाध्य करेंगे कि वे उस व्यक्ति को जिसकी भले ही जन्म के आधार पर हैसियत निम्न स्तर