पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/३७

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38 / जाति क्यों नहीं जाती ? निरर्थक भी होगी। (8) जातिप्रथा समाज सुधारकों को उत्पीड़ित करने का ढंग है कोई भी सुधार तब शुरू होता है, जब कोई व्यक्ति अपने समुदाय के मानकों, समुदाय की सत्ता और समुदाय के हित से ऊपर और इससे अलग अपने विचारों, अपनी धारणाओं और स्वयं की स्वतन्त्रता और हित पर अधिक बल देता है। लेकिन यह सुधार आगे लगातार सम्पन्न होगा या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति का समुदाय उसके दृढ़ विचारों को किस सीमा तक समर्थन देता है। अगर समुदाय में सहनशीलता की भावना है और वह अपने लोगों से न्यायोचित व्यवहार करता है, तो ऐसे व्यक्ति अपने विचारों पर दृढ़ रहेंगे और अंततः अन्य लोगों को भी नए ( विचारों से सहमत कराने में सफल हो जाएंगे। किंतु दूसरी ओर, अगर समुदाय सहनशील नहीं है और वह सही या गलत, किसी भी उपाय से ऐसे व्यक्तियों की आवाज को दबा देता है, तो ऐसे व्यक्ति समाप्त हो जाएंगे और सुधार की आशा भी • समाप्त हो जाएगी। आजकल किसी भी जाति के पास किसी भी ऐसे व्यक्ति को जाति से बहिष्कृत करने का पूरा अधिकार रहता है, जिसने उस जाति के नियम को तोड़ने का अपराध किया हो। अगर इस बात को समझ लिया जाए कि जाति से बहिष्कृत होने का अर्थ है, उसे समाज के किसी भी कार्य में भाग न लेने देना, तो वस्तुतः यह कहना कठिन है कि जाति- बहिष्कार अधिक कठोर दंड है या मृत्यु । इसलिये आश्चर्य नहीं कि किसी हिन्दू में यह साहस नहीं है कि वह जाति की सीमा को तोड़कर अपनी स्वतन्त्रता की अभिव्यक्ति कर सके। यह सही है कि आदमी अपने सहयोगियों से पूर्णत: सहमत नहीं हो सकता, लेकिन यह भी सही है कि वह उनके बिना रह भी नहीं सकता। वह चाहता यह है कि उसके सभी साथी उसकी अपनी शर्तों पर उसके साथ रहें। लेकिन अगर वे लोग उसकी शर्तें नहीं मानते तो वह किसी भी शर्त पर उनका साथ लेने के लिए तैयार हो जाएगा - भले ही उसे इसके लिए पूर्णत: आत्म-समर्पण करना पड़े। कारण यह है कि कोई भी व्यक्ति समाज के बिना रह नहीं सकता। मनुष्य की असहायता का लाभ उसकी जाति हर समय उठाने के लिए तैयार रहती है और वह इस पर भी बल देती है कि सभी व्यक्ति उस जाति की संहिता का अक्षरश: और तत्वतः पूरा पालन करें। कोई भी जाति किसी भी सुधारवादी व्यक्ति के जीवन को नरकतुल्य बना देने के लिए षड्यंत्र करके बड़ी आसानी से अपने को संगठित कर सकती है। अगर षड्यंत्र अपराध है तो मेरी समझ में यह नहीं आता कि अगर कोई आदमी अपने जाति के नियमों के -