पृष्ठ:जाति क्यों नहीं जाती.pdf/३०

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(घ) (च) (छ) (ज) (त) जातिप्रथा उन्मूलन / 31 सभी हिन्दुओं के विवाहों में बलाई लोग बारात के आगे और विवाह के दौरान बाजा बजाएंगे। बलाई स्त्रियां सोने या चांदी के आभूषण नहीं पहनेंगी। वे फैन्सी गाउन या जाकेट भी नहीं पहनेंगी। बलाई स्त्रियों को हिन्दू स्त्रियों के प्रसव के सभी मामलों में देखभाल करनी होगी। । बलाई लोगों को बिना कोई पारिश्रमिक मांगे सेवा करनी होगी और हिन्दू उन्हें जो कुछ खुश होकर देंगे, लेना होगा । अगर बलाई लोग इन शर्तों का पालन करना स्वीकार नहीं करते हैं तो उन्हें गांव को छोड़ना होगा। बलाई लोगों ने उन्हें मानने से इन्कार कर दिया और हिन्दुओं ने उनके विरुद्ध कार्रवाई की। बलाइयों को गांवों के कुओं से पानी नहीं भरने दिया गया। उन्हें अपने पशुओं को चराने के लिए नहीं ले जाने दिया गया । (3) धर्म, सामाजिक प्रतिष्ठा और संपत्ति, ये सभी सत्ता और प्राधिकार के स्रोत हैं जो एक आदमी के पास दूसरे की आजादी पर नियंत्रण करने के लिए होते हैं । एक स्थिति में एक बात अभिभावी होती है, तो दूसरी स्थिति में अन्य बात अभिभावी होती है। यही एकमात्र अंतर है। यदि स्वतंत्रता आदर्श है, यदि स्वतंत्रता का अर्थ इस प्रभुत्व का विनाश है जो किसी एक व्यक्ति को किसी दूसरे के ऊपर प्राप्त है, तो स्पष्ट है कि इस बात पर बल नहीं दिया जा सकता कि आर्थिक सुधार ही एक इस प्रकार का सुधार है, जिसे हासिल किया जाना चाहिए। यदि शक्ति और प्रभुत्व का स्रोत किसी विशेष समय अथवा किसी विशेष सामाजिक तथा धार्मिक समाज में मौजूद है, तो सामाजिक सुधार और धार्मिक सुधार को आवश्यक सुधार के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। (4) जातिप्रथा श्रमिकों का विभाजन है खेद है कि आज भी जातिप्रथा के समर्थक मौजूद हैं। इसके समर्थक अनेक हैं। इसका समर्थन इस आधार पर किया जाता है कि जातिप्रथा श्रम के विभाजन का एक अन्य नाम ही है। यदि श्रम का विभाजन प्रत्येक सभ्य समाज का